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Diabetes Risk: इन राज्यों में डायबिटीज का खतरा ज्यादा! डॉक्टरों ने बताई बड़ी वजह

Diabetes Risk: साउथ इंडियंस में डायबिटीज का खतरा ज्यादा क्यों? कम मसल्स, ज्यादा पेट की चर्बी और हाई-कार्ब डाइट कैसे बढ़ाती है रिस्क, डॉक्टरों से जानें पूरी वजह।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 09, 2025

Diabetes Risk

Diabetes Risk (Photo- freepik)

Diabetes Risk: हाल ही में कंटेंट क्रिएटर और डॉक्टर स्वाति आर. भट्ट ने एक हेल्थ मैसेज शेयर किया, जिसने सोशल मीडिया पर काफी चर्चा शुरू कर दी। अपने पोस्ट में उन्होंने कहा कि साउथ इंडियंस में डायबिटीज का खतरा नॉर्थ इंडियंस से ज्यादा होता है। कई लोग यह सुनकर हैरान हुए कि आखिर ऐसा क्यों?

एक जैसा वजन, लेकिन शरीर की बनावट अलग

डॉ. स्वाति के अनुसार, दक्षिण भारतीय लोगों में अक्सर मांसपेशियां (मसल मास) कम होती हैं, लेकिन पेट के अंदर जमी चर्बी यानी विसरल फैट ज्यादा होता है। दिखने में भले ही शरीर साधारण लगे, लेकिन यह अंदरूनी चर्बी शरीर को इंसुलिन रेज़िस्टेंस की तरफ धकेलती है, जिससे डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है।

डायबिटीज एजुकेटर कनिका मल्होत्रा भी यही बात कहती हैं साउथ इंडियंस बाहर से हेल्दी दिखते हैं, लेकिन उनके शरीर में मसल कम और पेट की गहरी चर्बी ज्यादा होती है। मसल्स जितनी ज्यादा होंगी, शरीर उतनी ही आसानी से ब्लड शुगर को इस्तेमाल कर पाता है। लेकिन जब मसल कम हो और फैट ज्यादा, तो शुगर कंट्रोल बिगड़ने लगता है।”

मसल्स कम होना भी बड़ी वजह

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. जगदीश हिरेमठ बताते हैं कि कम मसल मास और ज्यादा विसरल फैट मिलकर खतरा बढ़ा देते हैं। मसल्स शरीर में ग्लूकोज को सोखने का सबसे बड़ा स्थान होती हैं। कम मसल्स का मतलब है कि पैंक्रियास पर ज्यादा दबाव पड़ेगा कि वह अधिक इंसुलिन बनाए। दूसरी तरफ, पेट की चर्बी सूजन पैदा करने वाले केमिकल छोड़ती है, जो इंसुलिन के काम को और खराब करते हैं।

दक्षिण भारतीय खान-पान का असर

परंपरागत साउथ इंडियन डाइट में चावल और कार्ब्स ज्यादा होते हैं, खासकर पॉलिश्ड व्हाइट राइस। कई लोग दिन में तीन बार ऐसे भोजन खाते हैं जिसमें प्रोटीन और फाइबर बहुत कम होता है। जब खाना ज्यादातर कार्ब्स से भरपूर हो, तो ब्लड शुगर तेजी से बढ़ती है और बार-बार पैंक्रियास को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। समय के साथ यह पैटर्न इंसुलिन सेंसिटिविटी कम कर देता है।

क्या किया जाए? आसान बदलाव काफी हैं

डॉक्टरों का कहना है कि समाधान मुश्किल नहीं है, बस लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव काफी असर दिखा सकता है। हफ्ते में 2-3 दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें, इससे मसल्स बढ़ती हैं और शुगर तेजी से कंट्रोल होती है। हर खाने में प्रोटीन जोड़ें, जैसे दही, दाल, सांभर, पनीर, अंडे आदि। सब्जियां बढ़ाएं, ताकि फाइबर मिले और खाना धीरे पचे। कार्ब्स की मात्रा थोड़ा कम करें, खासकर सफेद चावल की। इडली, डोसा जैसे फर्मेंटेड फूड खाएं, लेकिन इन्हें प्रोटीन वाली चटनी या दाल के साथ खाएं। दिनभर लंबा समय बैठे न रहें, बीच-बीच में 2–3 मिनट की वॉक भी काफी होती है। नींद और तनाव दोनों का सीधा असर ब्लड शुगर पर पड़ता है, इसलिए इनका ध्यान रखना जरूरी है। डॉक्टरों का साफ कहना है कि परंपरागत खाने को छोड़ने की जरूरत नहीं है। बस थाली का बैलेंस ठीक करना है। थोड़ी सी समझदारी और छोटी-छोटी आदतें डायबिटीज के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती हैं।