Safe cough medicine for adults : खांसी हर उम्र में आम है लेकिन क्या हर किसी के लिए एक जैसी दवा सही होती है? सीनियर फिजिशियन डॉ. टी.पी. शर्मा बता रहे हैं कि बच्चों, किशोरों, वयस्कों और बुज़ुर्गों के लिए कौन-सी खांसी की दवा सुरक्षित है और किन दवाओं से बचना चाहिए।
Cough Syrup for Kids : खांसी सभी आयु वर्गों में सबसे आम शिकायतों में से एक है, फिर भी इसके प्रबंधन को अक्सर गलत समझा जाता है। हालांकि ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) कफ सिरप व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, लेकिन उनका अंधाधुंध उपयोग, खासकर बच्चों में अप्रभावी और कभी-कभी हानिकारक हो सकता है।
अधिकांश खांसी, खासकर वायरल संक्रमण के कारण होने वाली खांसी, 1-2 सप्ताह के भीतर अपने आप ठीक हो जाती है। मुख्य बात यह है कि खांसी के प्रकार की पहचान की जाए, कारण का पता लगाया जाए और सबसे सरल, सुरक्षित उपचार का उपयोग किया जाए।
हमने सीनियर फिजिशियन डॉ. टी पी शर्मा से बात की ताकि विभिन्न आयु वर्गों के लोगों में खांसी की दवाओं के सुरक्षित उपयोग और माता-पिता और वयस्क बिना अनावश्यक दवाओं के खांसी का प्रबंधन कैसे कर सकते हैं, इस पर विशेषज्ञ जानकारी प्राप्त की जा सके।
कारण का इलाज करें: वायरल सर्दी, एलर्जी, अस्थमा या एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों को छिपाने के बजाय सीधे उनका इलाज किया जाना चाहिए।
खांसी के प्रकार के अनुसार दवा का चयन करें: सूखी/जलन वाली खांसी में कफ निरोधक दवाओं से आराम मिलता है, जबकि गीली/उत्पादक खांसी में कफ निस्सारक दवाओं से लाभ होता है।
जब तक विशेष रूप से निर्धारित न किया गया हो, बहु-घटक "ऑल-इन-वन" सिरप से बचें।
बच्चों में कभी भी कोडीन या ओपिओइड सिरप का प्रयोग न करें; वयस्कों को इनका प्रयोग केवल निर्धारित होने पर ही करना चाहिए।
गैर-दवा उपायों को प्राथमिकता दें, खासकर बच्चों में।
खांसी — एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या, जो मौसम बदलने, एलर्जी, वायरल इंफेक्शन या प्रदूषण से किसी को भी हो सकती है। पर क्या हर उम्र में एक जैसी खांसी की दवा दी जा सकती है? डॉक्टरों का कहना है कि नहीं उम्र के हिसाब से खांसी की दवा चुनना बेहद जरूरी है, वरना फायदा तो दूर, नुकसान जरूर हो सकता है।
छोटे बच्चों में खांसी होने पर बाजार से सिरप लाकर देना खतरनाक हो सकता है। इस उम्र में दवाइयों से ज़्यादा असरदार हैं –
अगर बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो, दूध न पी रहा हो या बुखार हो, तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
इस उम्र के बच्चों को अभी भी कोई सिरप न दें। हल्की खांसी के लिए सलाइन की बूंदें, ह्यूमिडिफायर और पर्याप्त तरल पदार्थ ही काफी हैं। अगर तेज बुखार, घरघराहट या बच्चे की एक्टिविटी कम लगे, तो डॉक्टर को दिखाएं।
अगर बच्चा रात में सो नहीं पा रहा, या खांसी लंबे समय तक बनी रहे, तो जांच जरूरी है।
इस उम्र में भी एंटीट्यूसिव या डिकंजेस्टेंट (जैसे कफ दबाने वाली दवाएं) बिना डॉक्टर की सलाह नहीं लेनी चाहिए।
इस आयु वर्ग के बच्चों में खांसी अक्सर वायरल होती है, इसलिए घरेलू उपाय पहले करें।
इस उम्र में दवाइयां लगभग वयस्क जैसी दी जा सकती हैं, लेकिन कोडीन और फोल्कोडाइन जैसे घटकों से बचना जरूरी है।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।