Travel Stiffness Tips: फ्लाइट में गर्दन जकड़ना, पीठ दर्द, टखनों की सूजन क्यों होती है? जानिए 4 बड़े कारण और डॉक्टरों के बताए आसान उपाय, ताकि हर यात्रा बने आरामदायक।
Travel Stiffness Tips: हम सब फ्लाइट को बस एक नॉर्मल सफर की तरह लेते हैं। बोर्डिंग पास लिया, सीट पर बैठ गए, हेडफोन लगाए, मोबाइल चलाया… बस काम खत्म! लेकिन आपके शरीर के लिए ये इतना आसान नहीं होता। ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ अजिंक्य देसाले बताते हैं कि 30,000 फीट की ऊंचाई पर आपका शरीर एक तरह की स्ट्रेस टेस्ट से गुजरता है। कम हवा का दबाव, बहुत कम नमी, लंबे समय तक बैठना, ये सब आपकी मांसपेशियों और जोड़ों पर काफी असर डालते हैं। कई लोग लैंड करते ही गर्दन दुखना, पीठ जकड़ना, घुटनों में खिंचाव या टखनों में सूजन जैसी दिक्कतें महसूस करते हैं। यहां जानिए फ्लाइंग आपके शरीर को सबसे ज्यादा कहां चोट करती है और बचने के आसान तरीके।
जैसे-जैसे प्लेन ऊपर चढ़ता है, केबिन का प्रेशर कम होता जाता है। इससे शरीर के अंदर मौजूद गैस फैलती है। आपको पेट फूलना या ज्यादा डकार आना महसूस होता है, लेकिन यही गैस आपके जोड़ों और पुराने चोट वाले हिस्सों में भी फैलती है। अगर आपको पहले से आर्थराइटिस, डिस्क की समस्या या पुराने स्पोर्ट्स इंजरी हैं, तो फ्लाइट में दर्द बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। ये दर्द अक्सर लैंडिंग के बाद और तेज महसूस होता है।
फ्लाइट के अंदर की हवा इतनी सूखी होती है कि उसे दुनिया की सबसे सूखी जगहों में गिना जा सकता है, कभी-कभी 20% से भी कम नमी! इससे गला सूखना, नाक सूखना लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान रीढ़ की हड्डी और जोड़ों को होता है। हमारे जोड़ों और स्पाइनल डिस्क को लचीला रहने के लिए लगातार नमी चाहिए। फ्लाइट की सूखी हवा इन्हें डिहाइड्रेट कर देती है, जिससे गर्दन में खिंचाव, लोअर बैक पेन, कूल्हों में जकड़न, घुटनों में घिसावट जैसे ट्रैवल स्टिफनेस बढ़ जाती है।
तंग सीट में घंटों बैठे रहने से पैरों की मसल्स हिलती नहीं हैं, जिससे खून नीचे पैरों में जमा होने लगता है। नतीजा टखनों में सूजन, पैरों में भारीपन, घुटनों और कूल्हों में दर्द, लंबे फ्लाइट्स में DVT (खून के थक्के) का खतरा भी बढ़ जाता है, खासकर बुजुर्गों, प्रेग्नेंट महिलाओं और ओवरवेट लोगों में।
फ्लाइट में हवा पतली होती है, मतलब ऑक्सीजन कम मिलती है। ये दर्द बढ़ाता है, मसल्स जल्दी थकती हैं, सिरदर्द होता है, सूजन तेजी से बढ़ती है और अगर पहले से किसी जोड़ों की बीमारी है, तो असहजता और बढ़ जाती है।