Dementia Prevention Diet: हाई-फैट चीज को हमेशा नुकसानदायक माना गया, लेकिन नई स्टडी बताती है कि यह डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकता है। जानिए कैसे और कितनी मात्रा सही है।
Dementia Prevention Diet: बचपन में हम में से ज्यादतर लोगों ने ये डांट जरूर सुनी होगी कि “इतना चीज मत खाओ, मोटे हो जाओगे”, “दिल के लिए अच्छा नहीं है।” आमतौर पर चीज को वजन बढ़ाने, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट प्रॉब्लम से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन हाल की एक रिसर्च ने इस सोच को थोड़ा हिला दिया है। हैरानी की बात यह है कि हाई-फैट चीज दिमाग से जुड़ी बीमारियों, जैसे डिमेंशिया, के खतरे को कम करने में मददगार हो सकता है।
डॉक्टरों और रिसर्चर्स के मुताबिक, सालों तक सीमित मात्रा में हाई-फैट चीज और क्रीम खाने से बुज़ुर्ग उम्र में डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है। एक बड़ी स्टडी में करीब 27,700 लोगों को 25 साल तक फॉलो किया गया। उनके खाने-पीने, खासकर डेयरी प्रोडक्ट्स, और दिमागी सेहत पर असर को देखा गया।
रिसर्च में पाया गया कि जो लोग रोजाना करीब 20 से 50 ग्राम हाई-फैट चीज़ खाते थे, यानी लगभग दो स्लाइस या एक छोटी कटोरी, उनमें डिमेंशिया होने का खतरा कम था। खासकर वेस्कुलर डिमेंशिया, जो दिमाग में खून के सही फ्लो न होने से होता है, उसका रिस्क काफी कम देखा गया।
दिलचस्प बात यह है कि जो लोग लो-फैट या लाइट चीज़ खाते थे, उनमें ऐसा कोई खास फायदा नहीं दिखा। यानी दिमागी सेहत के मामले में फैट वाला चीज आगे निकला। इसकी वजह शायद यह है कि चीज सिर्फ फैट नहीं, बल्कि प्रोटीन, कैल्शियम, बी-विटामिन्स और विटामिन K2 से भरपूर होता है। विटामिन K2 नसों को हेल्दी रखने में मदद करता है, जो दिमाग के लिए बेहद जरूरी है।
इसके अलावा चीज बनाने की प्रक्रिया में जो फर्मेंटेशन होता है, उससे अच्छे बैक्टीरिया और खास कंपाउंड बनते हैं। ये शरीर में सूजन कम करने और ब्लड वेसल्स को मजबूत रखने में मदद करते हैं, जिससे उम्र बढ़ने के साथ दिमाग की सेहत बेहतर बनी रह सकती है।
नहीं। हर चीज का पोषण उसके दूध की क्वालिटी और गाय के खाने पर निर्भर करता है। रिसर्च में यह भी सामने आया कि दूध फुल-फैट है या स्किम्ड, इससे डिमेंशिया के खतरे पर खास फर्क नहीं पड़ा।
यह समझना जरूरी है कि कोई एक खाना जादू नहीं कर सकता। डिमेंशिया जैसी बीमारियों में जेनेटिक्स, लाइफस्टाइल और रेगुलर हेल्थ चेकअप भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। चीज को पूरी तरह दुश्मन मानने की जगह, अगर सही मात्रा में खाया जाए, तो यह दिमाग के लिए दोस्त साबित हो सकता है।