Karela Benefits In Monsoon: मानसून में करेला खाने के कई फायदे हैं, जिससे आप स्वस्थ और तंदुरुस्त रह सकते हैं। यह शरीर को संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है। करेला कड़वा जरूर होता है, लेकिन सेहत के लिए यह अमृत के समान है।
Karela Benefits In Monsoon: मानसून के मौसम में तापमान और नमी दोनों बढ़ जाते हैं, जिससे शरीर पर कई तरह के संक्रमण और पाचन से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में करेला यानि कि बिटर गार्ड एक सुपरफूड की तरह काम करता है। इसकी कड़वाहट भले ही लोगों को कम पसंद हो, लेकिन इसके औषधीय गुण इस मौसम में शरीर को कई तरीकों से फायदा पहुंचाते हैं।आइए जानते हैं कि बारिश में करेला खाने से कौन-कौन से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
बारिश में अकसर गैस, अपच और पेट दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। करेला फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स पेट की सफाई में मदद करते हैं।
मानसून में वायरल इंफेक्शन, सर्दी-जुकाम और खांसी आम हो जाती है। करेला विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और मौसमी बीमारियों से बचाव करता है।
करेले में पाए जाने वाले पॉलीपेप्टाइड-P और चारांटिन जैसे तत्व ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। मानसून के दौरान जब एक्टिविटी कम हो जाती है, तो डायबिटीज के मरीजों के लिए करेला बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।
बरसात में तले-भुने खाने और बाहर की चीजें खाने की आदत लीवर पर असर डालती है। करेला लीवर को डिटॉक्स करता है और इसके कार्य को बेहतर बनाता है। यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में भी सहायक है।
मानसून में त्वचा पर दाने और बालों में डैंड्रफ आम समस्या होती है। करेला अंदर से बॉडी को साफ करता है जिससे स्किन पर नेचुरल ग्लो आता है। साथ ही यह स्कैल्प को भी हेल्दी बनाए रखता है।
बरसात के मौसम में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां जैसे मलेरिया और डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। करेला प्राकृतिक रूप से खून को साफ करता है और शरीर को अंदर से मजबूत बनाकर संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है।
करेले की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
करेला जूस (थोड़ा नींबू मिलाकर) सुबह खाली पेट।
उबला हुआ करेला हल्के नमक के साथ।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।