स्वास्थ्य

Marcus Gunn Syndrome: क्या खाते समय आपकी भी आंखें झपकती है? हो सकती है ये दुर्लभ बीमारी, जानिए लक्षण और बचाव

Marcus Gunn Syndrome: मार्कस गन सिंड्रोम क्या है? जानिए इसके लक्षण, कारण, इलाज और बच्चों में यह दुर्लभ आंखों की बीमारी कैसे पहचानी जाती है।

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Dec 29, 2025
Marcus Gunn Syndrome (photo- freepik)

Marcus Gunn Syndrome: मार्कस गन सिंड्रोम एक बहुत ही दुर्लभ जन्मजात बीमारी है, जिसमें बच्चे की एक पलक सामान्य हालत में झुकी रहती है, लेकिन जैसे ही बच्चा जबड़ा हिलाता है, खासकर दूध पीते, चबाते या मुस्कुराते समय, वही पलक अचानक ऊपर उठ जाती है। इसे मेडिकल भाषा में जॉ-विंकिंग पीटोसिस भी कहा जाता है। यह बीमारी सबसे पहले 1883 में ब्रिटिश आई स्पेशलिस्ट रॉबर्ट मार्कस गन ने बताई थी। अनुमान है कि जन्म से पलक झुकी होने वाले बच्चों में से करीब 5% में यह समस्या पाई जाती है।

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यह समस्या क्यों होती है?

आम तौर पर आंख की ऊपरी पलक को उठाने वाली मांसपेशी को दिमाग से जाने वाली एक नस कंट्रोल करती है, और जबड़े की मांसपेशियां दूसरी नस से जुड़ी होती हैं। लेकिन मार्कस गन सिंड्रोम में ये दोनों नसें आपस में गड़बड़ तरीके से जुड़ जाती हैं।
इस वजह से जब बच्चा जबड़ा हिलाता है, तो आंख की पलक भी बिना जरूरत ऊपर-नीचे होने लगती है। आराम की हालत में पलक झुकी रहती है, लेकिन खाते-पीते समय वह ज्यादा खुल जाती है। कई बार यह हरकत इतनी साफ दिखती है कि माता-पिता इसे बच्चे के दूध पीते वक्त ही नोटिस कर लेते हैं।

इसके कारण क्या हैं?

यह ज्यादातर जन्म से होने वाली समस्या है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह गर्भ में बच्चे के दिमाग और नसों के विकास के दौरान होने वाली गड़बड़ी से जुड़ी हो सकती है। कुछ मामलों में इसका संबंध जेनेटिक बदलावों से भी पाया गया है। बहुत कम मामलों में यह चोट, सर्जरी या संक्रमण के बाद भी हो सकती है। लड़के और लड़कियों दोनों में यह हो सकती है, हालांकि कॉस्मेटिक वजहों से लड़कियों में इलाज के लिए आने की संख्या ज्यादा देखी जाती है।

लक्षण और पहचान

इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण है, जबड़ा हिलाने पर पलक का उठ जाना। इसके साथ कुछ बच्चों में भेंगापन, आलसी आंख (लेजी आई) या देखने में दिक्कत भी हो सकती है। इसकी पहचान किसी खास टेस्ट से नहीं होती, बल्कि डॉक्टर बच्चे को जबड़ा हिलाने, चबाने या मुस्कुराने को कहकर आंखों की हरकत देखते हैं।

इलाज कैसे होता है?

अगर समस्या हल्की है और देखने पर ज्यादा असर नहीं डाल रही, तो अक्सर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। कई बच्चे इसके साथ खुद को एडजस्ट कर लेते हैं। लेकिन अगर पलक बहुत ज्यादा हिलती है या नजर पर असर पड़ रहा है, तो सर्जरी की सलाह दी जाती है। आमतौर पर सर्जरी 4 साल की उम्र के बाद की जाती है। कुछ मामलों में बोटॉक्स का इस्तेमाल भी अस्थायी राहत के लिए किया जाता है।

आगे की जिंदगी कैसी रहती है?

ज्यादातर लोग इस समस्या के साथ सामान्य और स्वस्थ जीवन जीते हैं। समय पर इलाज और नियमित आंखों की जांच से नजर से जुड़ी दिक्कतों से बचा जा सकता है। सही देखभाल के साथ यह बीमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बड़ी रुकावट नहीं बनती।

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Updated on:
29 Dec 2025 02:53 pm
Published on:
29 Dec 2025 01:09 pm
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