Chewing Gum: च्यूइंग गम चबाना आजकल आम आदत बन चुकी है, जो ताजगी का अहसास दिलाने के साथ-साथ ध्यान को बेहतर बनाने का काम करती है। लेकिन शोध में यह सामने आया है कि च्यूइंग गम चबाने के कई शरीर पर बुरा असर डाल सकता है। इस आर्टिकल में जानिए पूरी जानकारी।
Chewing Gum: आजकल के टाइम में च्यूइंग गम चबाना डेली लाइफ का एक हैबिट बन चुका है। यह न केवल ताजगी देता है, बल्कि यह हमारी एकाग्रता और मूड को भी बेहतर बनाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह आम सी आदत आपके शरीर के लिए एक छिपा हुआ खतरा बन सकती है? हालिया शोध, जो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (UCLA) द्वारा किया गया, यह सामने आया है कि कुछ च्यूइंग गम में माइक्रोप्लास्टिक के छोटे कण होते हैं। यह दर्शाता है कि च्यूइंग गम का हर टुकड़ा चबाते समय आप अनजाने में हजारों छोटे प्लास्टिक कण निगल सकते हैं। ये कण हमारे शरीर में जा सकते हैं और हमारी सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं।
आजकल की च्यूइंग गम में एक मुख्य सामग्री होती है जिसे "गम बेस" कहते हैं, जो प्लास्टिक जैसी होती है। इसके अलावा, इसमें छोटे प्लास्टिक कण भी हो सकते हैं, जो चबाते वक्त हमारे मुंह में चले जाते हैं और फिर शरीर के भीतर प्रवेश कर सकते हैं। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि यह हमारी सेहत के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक्स छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो हमारी सेहत पर गंभीर असर डाल सकते हैं। ये कण हमारे खून में मिलकर मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं, जिससे नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ सकता है। इस कारण से न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों, जैसे अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ये बीमारियां धीरे-धीरे हमारे दिमाग और शरीर के काम करने के तरीके को प्रभावित करती हैं।
अगर आप बार-बार और लंबे समय तक च्यूइंग गम खाते हैं, तो माइक्रोप्लास्टिक्स के संपर्क में आने से आपके दिमाग पर नकारात्मक असर हो सकता है। इससे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, याददाश्त में कमी, और शरीर के छोटे-छोटे कार्यों में परेशानी हो सकती है।
अब जब आप जानते हैं कि च्यूइंग गम में छिपे प्लास्टिक कण हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं, तो क्या करना चाहिए? सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम प्लास्टिक-मुक्त, नेचुरल च्यूइंग गम का उपयोग करें। आजकल बाजार में कई ऐसे ब्रांड्स उपलब्ध हैं जो प्लास्टिक-मुक्त, नेचुरल सामग्री से बने च्यूइंग गम बेचते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।