IT parks: मध्य प्रदेश सरकार दो नए आईटी पार्कों बनाने की घोषणा करने जा रही है, जिनकी आधारशिला 27 अप्रैल को आईटी कॉन्क्लेव में रखी जाएगी। इससे छोटे स्टार्टअप्स को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है।
IT parks: इंदौर की पहचान अब सिर्फ साफ-सफाई और व्यापार तक सीमित नहीं रही। अब शहर आईटी सेक्टर में भी नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। सरकार दो नए आईटी पार्कों की सौगात देने जा रही है, जिनकी आधारशिला 27 अप्रैल को आईटी कॉन्क्लेव में रखी जाएगी। इससे न केवल स्टार्टअप्स को सहूलियत मिलेगी, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
इंदौर में आईटी सेक्टर का ईकोसिस्टम तेजी से तैयार हो चुका है। फिलहाल शहर में 100 से ज्यादा छोटी-बड़ी आईटी कंपनियां सक्रिय हैं और हर दिन इस संख्या में इज़ाफा हो रहा है। अब सरकार दो नए आईटी पार्क बना रही है, जहां खासकर छोटी कंपनियों और स्टार्टअप्स को 'प्लग एंड प्ले' मॉडल के तहत सस्ती दरों पर स्पेस मिलेगा।
पहला आईटी पार्क परदेशीपुरा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्प्लेक्स (Pardesipura Electronics Complex) में और दूसरा भंवरकुआ क्षेत्र में बनेगा। अच्छी बात ये है कि दोनों जगह पहले से उपलब्ध हैं, जिससे काम जल्दी शुरू किया जा सकेगा। सरकार इन्हें स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) का दर्जा देगी, जिससे कंपनियों को टैक्स जैसी कई अहम रियायतें भी मिलेंगी।
परदेशीपुरा में बनने वाला आईटी पार्क पीपीपी मॉडल (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) पर तैयार किया जाएगा। इसमें करीब 250 करोड़ रुपये खर्च होंगे और अनुमान है कि करीब दो हजार लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। यह न सिर्फ शहर के युवाओं के लिए बल्कि राज्य के टेक टैलेंट को रोकने के लिए भी बड़ा कदम साबित होगा।
इंदौर में पहले ही तीन सरकारी और दो निजी आईटी पार्क काम कर रहे हैं। आईटी चौराहा, परदेशीपुरा (पहले वाला), और सिंहासा में बने पार्क में पहले से कई कंपनियां कार्यरत हैं। सिंहासा में तो 40 से ज्यादा कंपनियों को प्लॉट भी मिल चुके हैं।
प्रदेश सरकार ने एक दशक पहले टीसीएस और इंफोसिस को 100 और 130 एकड़ जमीन रियायती दरों पर दी थी, साथ ही शर्त रखी थी कि 50 फीसदी नौकरियां प्रदेश के युवाओं को दी जाएं। इन कंपनियों ने न केवल SEZ स्टेटस हासिल किया, बल्कि इंदौर के युवाओं को करियर की नई दिशा भी दी।