Indore Mayor Son Speech: इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव ने भरे मंच से बेबाकी से खोली भारतीय रेलवे की पोल, सुनकर महापौर के उड़े होश, वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिया बेखौफ भाषण, वीडियो हुआ वायरल...
Indore Mayor Son Speech: इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव के उस समय होश उड़ गए जब, भरे मंच पर चढ़ते ही उनके बेटे संघमित्र भार्गव ने बेबाकी और बेखौफ होकर भारतीय रेलवे की एक-एक पोल खोलकर उपस्थित जनों के सामने रख दी। भाषण ऐसा की, महापौर के पसीने छूटने लगे... कि उनका बेटा ये क्या बोल रहा है। रेलवे की खामियों का पुलिंदा खुलता देख वहां उपस्थित नेता चौंक गए।
बता दें कि महापौर के बेटे संघमित्र भार्गव ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता के मंच से भाषण देकर हर किसी को चौंका दिया। उन्होंने रेलवे पर जमकर निशाना साधा। प्रदेश के मुखिया सीएम मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी इस मंच पर उपस्थित थे। लेकिन संघमित्र ने बिना किसी संकोच के भारतीय रेलवे का ध्यान उसकी खामियों की ओर खींच लिया। संघमित्र के आलोचनात्मक भाषण पर जहां महापौर के होश उड़ गए और पसीने छूटने लगे, वहीं सीएम और मंत्री मुस्कुराते नजर आए। लेकिन वहां उपस्थित नेताओं के होश फाख्ता थे कि वह संघमित्र ये क्या बोल रहा है।
इंदौर में रेलवे पर जमकर बरसे संघमित्र (Sanghamitra Bhargava) ने कहा कि रेलवे में दलालों का साथ और जनता का विनाश हो रहा है। वेटिंग लिस्ट का आलम यह है कि हर साल 50 लाख से ज्यादा लोग टिकट लेने के बावजूद सफर नहीं कर पाते। उन्होंने अपने भाषण में 2022 तक अहमदाबाद-मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन का वादा पूरा करने की बात भी कही। संघमित्र ने कहा कि 2025 आ गया और बुलेट ट्रेन अभी तक नहीं दौड़ी। करोड़ों रुपए खर्च हो गए, जमीन अधिग्रहण में घोटाले हो गए, लेकिन ट्रेन अब तक सिर्फ पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन तक ही सिमटी है।
बता दें कि स्टेशन री-डेवलपमेंट को लेकर संघमित्र भार्गव सरकार को घेरने से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा कि 400 रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसा बनाने की बात की गई थी, लेकिन अब तक बने कितने हैं? सिर्फ 20। उन्होंने व्यंग करते हुए कहा कि वहां चमकते बोर्ड तो हैं, लेकिन पीने का पानी महंगा है और भीड़ वैसी की वैसी। यानी कोई सुधार नहीं।
यही नहीं उन्होंने आगे कहा कि कवच तकनीक से रेल हादसे खत्म होने की बातें बातें ही रह गईं। जबकि पिछले 10 साल में 20 हजार लोग ट्रेन हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं। जब रेल के डिब्बे टूटते हैं या ट्रेन पटरी से उतरती है, तो किसी मां की गोद उजड़ जाती है। किसी बच्चे का भविष्य अंधकार में चला जाता है, किसी बूढ़े पिता की आखिरी उम्मीद छिन जाती है।
यही नहीं संघमित्र ने कैग (CAG) रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि 'सवा लाख करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया था, लेकिन 80 प्रतिशत परियोजनाएं अधूरी ही हैं। 78 प्रतिशत फंड जो सुरक्षा के लिए था, उसे डायवर्ट कर दिया गया। संघमित्र ने अपने भाषण में एक और रिपोर्ट का जिक्र करते हुए 300 करोड़ रुपए का निवेश सिर्फ एक कंपनी को दिए जाने की बात भी कही। उन्होंने भारतीय रेलवे और सरकारी कामकाज पर सवाल उठाया कि ऐसे कैसे होगा सबका विकास?