जबलपुर का गॉड ग्रुप, ऑर्गन, बॉडी डोनेशन के लिए बना लोगों की प्रेरणा
Organ Donation : जब कोई अपना दुनिया को अलविदा कहता है तो उसका अंतिम संस्कार करना भी कष्टदायी होता है, क्योंकि इस दौरान उसकी देह को जलते देखना या फिर खाक होते देखना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मानवता के लिए स्वयं के साथ अपनों की देह को भी अर्पित करने में सच्ची सेवा समझते हैं। शहर का गुजराती समाज कुछ ऐसा ही काम पिछले तीन सालों से करता चला आ रहा है। वे न केवल अपनों के दुनिया छोड़ जाने के गम को साझा कर रहे हैं, बल्कि भावी डॉक्टरों को शोध के लिए उनकी देहदान कर रहे हैं। गुजराती समाज की इस पहल की चर्चा आज पूरे शहर में हो रही है।
गुजरातीर समाज के अंतर्गत आने वाले कई समाजों ने मिलकर तीन साल पहले गुजराती ऑर्गन डोनेशन (गॉड ग्रुप) बनाया है। जिसके अंतर्गत समाज के लोगों को देहदान, नेत्रदान, त्वचा दान सहित अन्य ऑर्गन्स डोनेट करने के लिए न केवल प्रेरित करना बल्कि उन्हें डोनेट भी कराया जाता है। जानकारी के अनुसार तीन साल में गॉड ग्रुप ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तीन देह और दो त्वचा दान करा चुका है। ग्रुप के सदस्य समाज के लोगों में अंगदान को लेकर जनजागरुकता फैलाने के साथ उनके महत्व को भी बता रहे हैं।
गुजराती ऑर्गन डोनेशन(गॉड ग्रुप) के सदस्य विपल लालन ने बताया हम पिछले 15 सालों से नेत्रदान के लिए समाज और अन्य लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। हमने अब तक करीब 35 गुजराती परिवारों के सदस्यों का मरणोपरांत कॉर्निया डोनेट करा चुके हैं। वहीं नेत्रदान के लिए हमारे बहुत से सदस्यों ने भी इच्छा जताई है। नेत्रदान के लिए मृत व्यक्ति की आंख से कॉर्निया निकालने से लेकर उसके प्रत्यारोपण तक की पूरी प्रक्रिया डॉ. पवन स्थापक द्वारा पूर्णत: नि:शुल्क कराई जाती है। एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो व्यक्ति लाभांवित होते हैं। यानि हमारे द्वारा कराए गए नेत्रदान से अब तक करीब 70 लोगों को आंखों की रोशनी मिल चुकी है।
विपल लालन ने बताया कि जब हमें पता चलता है कि किसी परिवार में कोई मृत्यु हुई है तो हम उनसे संपर्क करते हैं। उन्हें देहत्याग करने वाले की देहदान, नेत्रदान व त्वचा दान करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनमें बहुत से लोग मान जाते हैं। जिसके बाद मेडिकल में हम देहदान, त्वचा दान कराते हैं, वहीं रोटरी आई बैंक में नेत्रदान कराते हैं।
गॉड ग्रुप के सदस्यों ने बताया कि तीन सालों में देहदान और अंगदान को लेकर संगोष्ठी आयेाजित की गईं। जिसमें विशेषज्ञों के द्वारा उपस्थित लोगों को न केवल प्रेरित किया गया, बल्कि अंगदान और देहदान से जुड़ मिथकों व भ्रांतियों को दूर भी किया गया। इससे करीब एक दर्जन लोग अंग व देहदान के लिए तैयार हो चुके हैं।