Jagdalpur Swadeshi Mela: स्वदेशी जागरण मंच द्वारा लालबाग में आयोजित मेला, जहां भारत के कोने-कोने के स्वादिष्ट व्यंजन और अनोखे हस्तशिल्प प्रदर्शित होंगे।
Jagdalpur Swadeshi Mela: लालबाग में आज से आयोजित होने वाले स्वदेशी मेला में देश के कोने-कोने से स्वादिष्ट व्यंजनों और हस्तशिल्पों की धूम मचने वाली है। भारतीय विपणन विकास केंद्र (स्वदेशी जागरण मंच की इकाई) द्वारा आयोजित इस मेले में उत्तर भारत के प्रसिद्ध मथुरा चाट से लेकर महाराष्ट्र के पारंपरिक झुमका भाकर तक का लुत्फ उठाया जा सकेगा। इसके अलावा, लखनऊ का टेराकोटा, आगरा का मार्बल आर्ट और छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ जिले के अनोखे फर्नीचर की भी झलक देखने को मिलेगी।
खास बात यह है कि बस्तर के स्वदेशी सामानों को भी इस मंच पर नई उड़ान मिलेगी, जिससे आदिवासी कारीगरों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकेगी। लोकल टू ग्लोबल के मंत्र के तहत यह आयोजन ग्रामीण, कुटीर, निजी, सहकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के उत्पादकों को एक बड़ा बाजार प्रदान करेगा। मेले का सबसे रोमांचक हिस्सा बस्तर के स्वदेशी सामानों का प्रदर्शन होगा।
बस्तर के बांस, बेलमेटल, लकड़ी और टेराकोटा के हस्तशिल्प समेत अन्य को विशेष स्टॉल्स पर प्रदर्शित किया जाएगा। आयोजकों ने बताया कि बस्तर के २0 से अधिक स्थानीय लोगों को आमंत्रित किया गया है, ताकि उनके उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार में पहुंचाने का प्रयास हो।
हस्तशिल्प खंड में लखनऊ की चिकनकारी और टेराकोटा कला, जो अवध की समृद्ध विरासत को दर्शाती है, के साथ आगरा का सफेद संगमरमर से तराशा गया मार्बल आर्ट स्टॉल्स पर चमकेगा। ताजमहल की याद दिलाने वाले इन उत्पादों में मोतियों से जड़े शिल्प और मूर्तियां शामिल होंगी। छत्तीसगढ़ का सारंगढ़ जिला, जो लकड़ी के नक्काशीदार फर्नीचर के लिए प्रसिद्ध है, अपने हस्तशिल्पों से मेले को समृद्ध करेगा। इन फर्नीचरों में पारंपरिक आदिवासी डिजाइन और आधुनिक उपयोगिता का अनोखा मिश्रण देखने को मिलेगा।
Jagdalpur Swadeshi Mela: स्वदेशी मेला के आयोजक समिति के सदस्य भावेश सेन ने बताया कि यह मेला केवल व्यापार का केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। बस्तर जैसे दूरदराज क्षेत्रों के उत्पादों को मुख्यधारा से जोडऩा हमारा प्रमुख उद्देश्य है। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार और वर्कशॉप्स भी आयोजित होंगे, जहां स्वदेशी उत्पादों के महत्व पर चर्चा होगी।
खाद्य स्टॉल्स पर मथुरा की तीखी-मीठी चाट, जो ब्रज संस्कृति का प्रतीक है, के साथ महाराष्ट्र का झुमका भाकर, एक पारंपरिक ज्वार की रोटी जो घी और मसालों से सजाई जाती है प्रमुख आकर्षण होंगे।