Journalist Mukesh Chandrakar: पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के जिस भ्रष्टाचार को दुनिया के सामने लाया था उसमें 56 करोड़ के काम को112 करोड़ का कर दिया गया था।
Journalist Mukesh Chandrakar: पत्रकार मुकेश चंद्राकार की हत्या के बाद उनका अंतिम संस्कार 4 जनवरी को बीजापुर के मुक्तिधाम में किया गया था। अंतिम संस्कार के बाद सनातनी परंपरा के अनुसार मुकेश की अस्थियों को एक मिट्टी के कलश में रख मुक्तिधाम के ही एक पेड़ पर टांग दिया गया था।
13 जनवरी (सोमवार) को जब मुकेश के परिजन अस्थियों को विसर्जन के लिए ले जाने पहंचे तो पेड़ पर मुकेश की अस्थियों का कलश नहीं था। कलश नहीं मिलने पर परिजन घबरा गए। तलाश करने अस्थियों से भरा कलश टूटे हुए हालत में 50 मीटर दूर मिला। अस्थियां जमीन पर बिखरी हुई थीं। कलश खंडित हो चुका था। ऐसा होना सनातनी परंपरा के अनुसार गलत होता है। फिर परिजनों ने नए कलश में अस्थियों को डाला और तेलंगाना के कालेश्वर रवाना हुए जहां गोदावरी नदी में मुकेश की अस्थियों को प्रवाह किया जाएगा। बता दें कि मुकेश की हत्या बर्बरता पूर्वक की गई थी। अब उसकी अस्थियों के साथ भी छेड़छाड़ होने से आक्रोश है।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के जिस भ्रष्टाचार को दुनिया के सामने लाया था उसमें 56 करोड़ के काम को112 करोड़ का कर दिया गया था। गंगालूर से नेलसार तक बनने वाली यह सडक़ सुरेश चंद्राकर के लिए सोने का अंडा देने वाली सडक़ बन गई। साल 2016 में वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क परियोजना शुरू की गई और साल 2020 की एक रिपोर्ट बताती है कि बस्तर में जिन 245 सडक़ों का निर्माण होना था, उनमें से 243 सडक़ें बन ही नहीं पाई हैं।
मुकेश चंद्राकार की हत्या को लेकर नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता ने बयान जारी कर हत्यारोपी को कठोर सजा देने की मांग की है। उनका आरोप है कि ठेकेदार सुरेश चंद्राकार ने सड़क निर्माण की धांधलियों को छुपाने के लिए पत्रकार की हत्या करवाई है।