Amyra Death Case: जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल को अमायरा आत्महत्या मामले में CBSE ने दोषी पाया। सबूतों से छेड़छाड़ और सुरक्षा खामियों के आरोप में स्कूल को नोटिस जारी की गई।
Amyra death case: राजधानी जयपुर के अमायरा आत्महत्या केस में बड़ा मोड़ आया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने अपनी जांच रिपोर्ट में नीरजा मोदी स्कूल को दोषी पाया है।
बता दें कि 20 नवंबर को सीबीएसई ने स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया। रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि स्कूल न केवल बुलिंग की शिकायतों को नजरअंदाज करता रहा, बल्कि घटना के बाद सबूतों की संभावित छेड़छाड़ पर भी संदेह है।
1 नवंबर 2025 को चौथी कक्षा की छात्रा अमायरा ने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी। इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था। परिजनों ने शुरुआत से ही स्कूल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही और बुलिंग को अनदेखा करने के आरोप लगाए थे।
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इतने गंभीर मामले के बावजूद अब तक किसी भी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मामला मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर जोर पकड़ने के बाद CBSE ने हस्तक्षेप किया और जांच कमेटी बनाई।
-18 महीने से जारी बुलिंग, लेकिन स्कूल ने कोई काउंसलिंग या एक्शन नहीं लिया
-घटना के बाद फॉरेंसिक जांच से पहले क्लासरूम व घटना स्थल को साफ किया गया, जिससे सबूत मिटाए जाने की आशंका
-सुरक्षा व्यवस्था कमजोर, मॉनिटरिंग नहीं, सुरक्षा कमेटी मौजूद नहीं
-बच्चों की सेफ्टी और मानसिक हेल्थ को लेकर CBSE की गाइडलाइंस का गंभीर उल्लंघन
केंद्रीय जांच टीम ने 12 नवंबर को अमायरा के माता-पिता से मुलाकात की थी। माता-पिता ने बताया कि बच्ची कई बार बुलिंग की शिकायत कर चुकी थी, लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया।
अमायरा की मां ने CBSE को क्लास की CCTV फुटेज दिखाईं। इनमें बच्ची घटना से 45 मिनट पहले लगातार 5 बार क्लास टीचर से मदद मांगते हुए नजर आई। उसने डिजिटल स्लेट पर सहपाठियों द्वारा लिखी आपत्तिजनक बातें भी दिखाईं। रिपोर्ट के मुताबिक…
-बच्ची बेहद परेशान और शर्मिंदा थी
-टीचर ने उसे शांत कराने के बजाय क्लास में डांटा
-काउंसलर के पास नहीं भेजा गया, जबकि CBSE की एंटी-बुलिंग नीति व पॉक्सो नियमों में काउंसलिंग अनिवार्य है
सरप्राइज इंस्पेक्शन में भी कई खामियां मिली हैं। 3 नवंबर को CBSE टीम जब अचानक स्कूल पहुंची तो पाया गया कि…
-छात्रों ने ID कार्ड नहीं पहने थे
-सुरक्षा कमेटी मौजूद नहीं थी
-स्टॉफ को एंटी-बुलिंग प्रोटोकॉल की ट्रेनिंग नहीं
-इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं
CBSE ने स्कूल प्रबंधन से पूछा है कि एफिलिएशन बाय लॉज के चैप्टर 12 के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। पेनल्टी में चेतावनी, भारी जुर्माना, एफिलिएशन डाउनग्रेड, अस्थायी सस्पेंशन और एफिलिएशन पूरी तरह रद्द करना शामिल हो सकते हैं। स्कूल को 30 दिन के भीतर जवाब देना होगा, फिर CBSE आगे की कार्रवाई करेगा।
अमायरा के माता-पिता लगातार एक ही मांग कर रहे हैं, लापरवाही करने वालों को सजा मिले, ताकि कोई और बच्ची अमायरा की तरह मजबूर न हो। यह केस अब सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र में बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। फिलहाल, स्कूल की मान्यता रद्द होगी या नहीं, यह सीबीएसई की कार्रवाई पर निर्भर करेगा।