Diwali Firecracker Dangers; बच्चे फंस रहे 'कर्बाइड कैनन' के जाल में: प्लास्टिक पाइप से घरेलू पटाखा बना रहे। वायरल वीडियो की चपेट में जान का खतरा।
मोहित शर्मा.
जयपुर. त्योहारों का मौसम आते ही पटाखों की गूंज सुनाई देने लगती है, लेकिन इस बार बच्चों के हाथों में कुछ ऐसा पहुंचा है जो खिलौना नहीं, बल्कि एक छिपा हुआ 'बम' है। प्लास्टिक के पाइप, गैस लाइटर और आसानी से मिलने वाले कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल कर बच्चे खतरनाक 'कार्बाइड गन' या 'देसी पटाखे' बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो से सीखकर बनाए जा रहे ये जुगाड़ वाले पटाखे गंभीर हादसों को न्योता दे रहे हैं।
यह देशी जुगाड़ कर्बाइड कैनन 130 से 150 रुपए तक में बच्चों को आसानी से मिल जाता है। इसमें 20-30 रुपए की कैल्शियम कार्बाइड के छोटे टुकड़े डालकर तेज धमाका किया जाता है, लेकिन ये बड़ा खतरनाक हो सकता है।
यह देसी पटाखा बनाने का तरीका बेहद सरल और उतना ही खतरनाक है। एक तरफ से बंद प्लास्टिक के पाइप में कैल्शियम कार्बाइड के छोटे-छोटे टुकड़े डाले जाते हैं। इसके बाद इसमें कुछ बूंदें पानी की डाली जाती हैं। पानी के संपर्क में आते ही कार्बाइड से एसिटिलीन गैस तेजी से बनती है, जो कि अत्यधिक ज्वलनशील होती है। पाइप के मुंह पर बने एक छोटे से छेद के पास लाइटर या किसी अन्य चिंगारी से आग दिखाई जाती है। बंद पाइप में भरी गैस तुरंत आग पकड़ती है और एक जोरदार धमाके के साथ फटती है। यह पूरी प्रक्रिया इतनी अनियंत्रित होती है कि इसे बनाने और चलाने वाला, खासकर बच्चे, सीधे तौर पर खतरे की चपेट में आ जाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह जुगाड़ किसी भी देसी बम से कम खतरनाक नहीं है। इसमें गंभीर चोट का जोखिम है। धमाके के समय प्लास्टिक का पाइप फट सकता है, जिसके टुकड़े छर्रों की तरह शरीर में घुसकर गंभीर चोट पहुंचा सकते हैं। आंखों की रोशनी जाना, चेहरे और हाथों का जलना इसमें आम बात है। एसिटिलीन गैस बहुत तेजी से आग पकड़ती है, जिससे आसपास रखे सामान या कपड़ों में आग लग सकती है। धमाके की तेज आवाज कान के पर्दों व अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। साथ ही, कार्बाइड से निकलने वाली गैस फेफड़ों के लिए भी जहरीली हो सकती है।
इस तरह के खतरनाक पटाखे बनाना और बेचना गैर-कानूनी है। अभिभावकों को भी सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि बच्चों द्वारा ऐसा करना उन्हें कानूनी मुश्किल में डाल सकता है। किशोर न्याय अधिनियम बच्चों को ऐसी खतरनाक गतिविधियों में शामिल करना या उनसे करवाना इस कानून के तहत अपराध है। बिना लाइसेंस के विस्फोटक सामग्री (जैसे एसिटिलीन गैस बनाना) का निर्माण करना एक गंभीर अपराध है। भारतीय दंड संहिता दूसरों की जान को खतरे में डालने वाली गतिविधियों के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। पुलिस और प्रशासन को इस मामले में सख्ती बरतने की जरूरत है।
हार्डवेयर और वेल्डिंग की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हो रहा है कैल्शियम कार्बाइड। इसकी बिक्री पर निगरानी रखी जानी चाहिए ताकि यह बच्चों के हाथों तक न पहुंचे।