जयपुर

Rajasthan: गुर्जर समाज फिर आंदोलन की राह पर, 142 दिन बाद भी समझौते पर नहीं हुआ एक्शन; यहां होगी महाबैठक

Rajasthan News: गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता विजय बैंसला ने भजनलाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पीलूपुरा में हुई महापंचायत में हुए समझौते के 142 दिन बीत जाने के बावजूद एक भी बिंदु पर अमल नहीं किया गया।

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Nov 01, 2025
पत्रिका फाइल फोटो

Rajasthan News: गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला ने भजनलाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि 8 जून 2025 को पीलूपुरा में हुई महापंचायत में हुए समझौते के 142 दिन बीत जाने के बावजूद एक भी बिंदु पर अमल नहीं किया गया। विजय बैंसला ने बताया कि नाराजगी के चलते गुर्जर समाज एक बार फिर आंदोलन की रणनीति तैयार करने में जुट गया है।

इसी कड़ी में 5 नवंबर को दौसा जिले के सिकराय क्षेत्र स्थित पांचोली गांव में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की प्रदेश स्तरीय बैठक का आयोजन किया जाएगा। विजय बैंसला की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में एमबीसी (Most Backward Class) वर्ग के लंबित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी और आगे की कार्रवाई का ऐलान किया जाएगा।

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बैंसला ने दिलाई समझौते की याद

अपनी एक्स पोस्ट में समझौते की याद दिलाते हुए बैंसला ने बताया कि 8 जून को पीलूपुरा महापंचायत में राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत वार्ता के बाद समझौता हुआ था। इसके तहत एमबीसी आरक्षण को मजबूत करने, लंबित नियुक्तियों और अन्य मांगों को पूरा करने का वादा किया गया था। बाद में 7 अगस्त को सरकार के मंत्रियों की समिति ने औपचारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर समझौते के क्रियान्वयन की घोषणा की थी। लेकिन अब 142 दिन गुजर जाने के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई है।

बैंसला ने कहा कि सरकार की उदासीनता से समाज में आक्रोश है। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें मनवाएंगे, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो रेल-पटरी जाम जैसे कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।

प्रमुख मुद्दों की लंबी सूची जारी की

बैठक में उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दों की सूची लंबी है। सबसे पहले, 1252 में से 433 एमबीसी अभ्यर्थियों की डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) अभी तक अटकी हुई है। इनमें कई योग्य उम्मीदवार वर्षों से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। दूसरा बड़ा मुद्दा शहीद स्वर्गीय रूपनारायण गुर्जर की अनुकंपा नियुक्ति का है। शहादत के बावजूद परिवार को अभी तक कोई सहायता नहीं मिली, जो समझौते का स्पष्ट उल्लंघन है।

तीसरा, एमबीसी आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की प्रक्रिया। कैबिनेट की तीन बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन राज्य सरकार ने कैबिनेट अप्रूवल के माध्यम से कोई कदम नहीं उठाया। इससे आरक्षण की कानूनी मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं। चौथा मुद्दा केस निस्तारण का है। मंत्रियों ने केस समाप्ति की घोषणा की थी, लेकिन पिछले 24 महीनों में मात्र चार केस ही सुलझाए गए। हजारों मुकदमे अदालतों में लंबित हैं, जो एमबीसी समुदाय के युवाओं के भविष्य को अनिश्चित बना रहे हैं।

पांचवां, राज्य सरकार और राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित एमबीसी आरक्षण के क्रियान्वयन की प्रक्रिया अभी तक लागू नहीं हुई। हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना जैसे आरोप लग रहे हैं। छठा, रोस्टर प्रणाली पर निर्णय लंबित है, जिससे भर्तियों में पारदर्शिता प्रभावित हो रही है। सातवां, एमबीसी की जातियों को इदाते कमिशन की अनुशंसा के बावजूद डी-नोटिफाइड ट्राइब्स (डीएनटी) में शामिल नहीं किया गया, जो पिछड़ेपन की श्रेणी में राहत देने से वंचित कर रहा है।

पांचोली गांव को ही क्यों चुना?

इसके अलावा, बैठक में देवनारायण बोर्ड द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी गहन मंथन होगा। बोर्ड की छात्रवृत्ति, कौशल विकास और अन्य कल्याणकारी योजनाएं कागजों तक सीमित हैं। समाज के बुजुर्ग, युवा और महिलाएं बड़ी संख्या में बैठक में शामिल होंगे। पांचोली गांव को चुना जाना भी रणनीतिक है, क्योंकि यह क्षेत्र गुर्जर बहुल है और आंदोलन की जड़ें यहीं से मजबूत हैं।

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Updated on:
01 Nov 2025 07:25 pm
Published on:
01 Nov 2025 06:15 pm
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