जयपुर के 37 वर्षीय पायलट और पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान ने जान गवां दी। सेना में 14 वर्ष तक सेवा देने के बाद राजवीर ने परिवार के लिए निजी क्षेत्र चुना था, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था।
Pilot Rajveer Singh Chouhan: फादर्स डे की सुबह थी, जब दुनिया अपने पिता को गले लगाकर आभार जता रही थी, उसी सुबह एक पिता ने अपने परिवार के लिए ड्यूटी निभाते हुए जान गंवा दी और एक पिता दुख के सागर में डूब गए। केदारनाथ के घने जंगलों में सुबह की हल्की रोशनी फैल ही रही थी, तभी एक हेलिकॉप्टर क्रैश की खबर ने जयपुर के शास्त्री नगर को गहरे शोक में डुबो दिया।
इस हादसे में जयपुर के 37 वर्षीय पायलट और पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान ने जान गवां दी। सेना में 14 वर्ष तक सेवा देने के बाद राजवीर ने परिवार के लिए निजी क्षेत्र चुना था, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। सुबह 5:20 बजे कंट्रोल रूम को भेजा उनका संदेश, 'लैंडिंग के लिए लेफ्ट टर्न कर रहा हूं', आखिरी संदेश बन गया।
राजवीर के बड़े भाई चंद्रवीर सिंह और अन्य परिजन रविवार शाम 6 बजे की फ्लाइट से देहरादून के लिए रवाना हुए। शव की पहचान होने की स्थिति में सोमवार दोपहर तक अंतिम संस्कार हो सकता है। अन्यथा डीएनए जांच के बाद ही शव परिवार को सौंपा जाएगा।
राजवीर की मां सोना कंवर को अब तक बेटे की मौत की खबर नही दी गई है। सिर्फ इतना बताया गया है कि उसे हल्की चोट लगी है। वह बार-बार कहती हैं, ’वो तो इतना अच्छा पायलट था, फिर उसको चोट कैसे लग गई? घर पर इतने लोग क्यों आ रहे हैं?’ परिवार उन्हें यही कहकर समझा रहा है कि लोग कुशलक्षेम पूछने आए हैं।
राजवीर के पड़ोसी सूरज और अशोक ने बताया कि वह बेहद विनम्र, मिलनसार और मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देना उनका स्वभाव था। ’हमने सिर्फ एक पायलट ही नही?, एक सच्चा दोस्त खो दिया,’ उन्होंने कहा।
राजवीर ने सेना में रहते हुए कई जोखिम भरे मिशन पूरे किए। पिछले वर्ष अक्टूबर में उन्होंने आर्मी एविएशन से रिटायर होकर निजी क्षेत्र में बतौर पायलट काम शुरू किया, ताकि परिवार को समय दे सकें। बीस दिन पहले जब वे घर आए थे, तो जुड़वां बेटों के साथ खेलते वक्त उनकी आंखों में पिता बनने की चमक साफ दिखती थी।
राजवीर की पत्नी दीपिका चौहान स्वयं सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। चार महीने पहले ही उन्होंने जुड़वां बेटों को जन्म दिया था। परिवार में खुशियों की लहर थी। 30 जून को माता-पिता की 50वीं शादी की सालगिरह और नवजात बच्चों के जलवा पूजन का आयोजन तय था। गार्डन बुक हो चुका था, कपड़े सिल चुके थे। लेकिन फादर्स डे पर सुबह 7:30 बजे आई खबर ने सब कुछ बदल दिया।