Rajasthan Liquor : राजस्थान पहले से ही शराब तस्करी का बड़ा ट्रांजिट हब बना हुआ है। अब दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के शुरू होने के बाद तस्करों को एक और तेज व सुरक्षित रूट मिल गया है। जानें अन्य रूट के बारे में।
Rajasthan Liquor : हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में निर्मित शराब को गुजरात तक पहुंचाने के लिए राजस्थान पहले से ही शराब तस्करी का बड़ा ट्रांजिट हब बना हुआ है। अब दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के शुरू होने के बाद तस्करों को एक और तेज व सुरक्षित रूट मिल गया है। इस मार्ग से भारी मात्रा में शराब दौसा-जयपुर होते हुए अलग-अलग रास्तों से गुजरात भेजी जा रही है।
इसमें से एक बड़ा हिस्सा राजधानी जयपुर समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में ही खपाया जा रहा है। पत्रिका पड़ताल में प्रदेश से गुजरने वाले 8-9 ऐसे प्रमुख रूट सामने आए हैं, जिनसे रोजाना ट्रकों के जरिए अवैध शराब की सप्लाई हो रही है। बावजूद इसके, आबकारी और पुलिस महकमा इस संगठित नेटवर्क को तोड़ने में अब तक नाकाम साबित हुआ है। सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में कार्रवाई की तीव्रता भी घटी है।
जानकारी के अनुसार अवैध शराब मुख्य रूप से हरियाणा के नारनौल, रेवाड़ी, सोनीपत, फरीदाबाद, अंबाला और चंडीगढ़ सहित अन्य शहरों से रवाना होती है। इस नेटवर्क की जानकारी आबकारी विभाग को होने के बावजूद निरोधक दल प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा। जब कभी विशेष अभियान चलाया जाता है, तो तस्करी कुछ समय के लिए रुकती है, लेकिन अभियान समाप्त होते ही फिर शुरू हो जाती है। अनुमान है कि गुजरात में बिकने वाली अवैध शराब में 50 प्रतिशत से अधिक सप्लाई पंजाब-हरियाणा से राजस्थान के रास्ते पहुंचती है।
हाल ही में पाली जिले के सोजत क्षेत्र में आबकारी विभाग ने करीब 45 लाख रुपए कीमत की 498 पेटी अंग्रेजी शराब जब्त की थी। यह शराब पंजाब में बिक्री के लिए निर्मित थी और माना जा रहा है कि इसे गुजरात भेजा जा रहा था। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा रहा कि इसका एक हिस्सा राजस्थान में खपाने की तैयारी थी।
ऐसे मामलों से राज्य सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। पूर्व में कोटपूतली सहित कई इलाकों में ऐसे खुलासे हो चुके हैं, जहां सीमा पार कराने के बदले प्रति ट्रक 3 से 5 लाख रुपए तक की वसूली की गई।
1- सोहना, भिवाड़ी, अलवर, सिकंदरा मोड़, दौसा, कोटा, आबूरोड, गुजरात।
2- अंबाला, सादुलपुर, राजगढ़, डीडवाना, किशनगढ़, अजमेर, ब्यावर, भीम, उदयपुर, गुजरात।
3- सोहना, नूंह, अलवर, पिनान, राजगढ़, दौसा, जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, ब्यावर, भीम, उदयपुर, गुजरात।
4- किशनगढ़, बिजयनगर, भीलवाड़ा, उदयपुर, रतनपुर (बॉर्डर), श्यामलाजी, गुजरात।
5- सोहना, नूंह, अलवर, पिनान, दौसा, अजमेर, यावर, पाली, सिरोही, रेवदर, आबूरोड, पालनपुर, गुजरात।
6- शाहजहांपुर, कोटपूतली, शाहपुरा, जयपुर, चित्तौड़गढ़, निम्बाहेड़ा, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, दाहोद-गुजरात।
सूत्र बताते हैं कि अवैध शराब के धंधे में दोहरी कमाई का खेल चल रहा है। एक तरफ तस्करों से सेफ पैसेज के बदले मोटी रकम ली जाती है, तो दूसरी ओर शराब पकड़वाने पर आबकारी विभाग की मुखबिर योजना के तहत भारी इनाम मिलता है। यानी तस्करी को सुगम बनाने और पकड़वाने-दोनों ही स्थितियों में पैसा सिस्टम के भीतर ही घूमता रहता है।
गुजरात में शराबबंदी के कारण वहां अवैध शराब की भारी मांग है, जबकि राजस्थान में अधिक आबकारी ड्यूटी के चलते शराब हरियाणा और पंजाब के मुकाबले महंगी है। इसी अंतर का फायदा उठाकर शराब न सिर्फ गुजरात, बल्कि राजस्थान में भी खपाई जा रही है। इससे माफिया मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। यदि इस नेटवर्क पर प्रभावी रोक लगाई जाए, तो आबकारी विभाग की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव है।