राजस्थान हाईकोर्ट ने एप आधारित कैब सेवाओं में छह महीने में 15% और अगले तीन साल में 25% महिला ड्राइवर शामिल करने का आदेश दिया। साइबर क्राइम को बढ़ता खतरा बताते हुए साइबर कंट्रोल सेंटर बनाने, गिग वर्कर्स के पंजीकरण समेत कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए।
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने महिला सुरक्षा और बढ़ते डिजिटल अपराधों पर बड़ा फैसला देते हुए राज्य सरकार को कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि एप आधारित कैब सेवाओं में आने वाले छह महीनों के भीतर कम से कम 15 प्रतिशत महिला ड्राइवरों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
साथ ही कोर्ट ने कहा, अगले दो से तीन साल के भीतर यह संख्या बढ़ाकर 25 प्रतिशत की जाए। साथ ही एप्स में ऐसा विकल्प उपलब्ध कराने को कहा गया है, जिससे महिला यात्री महिला ड्राइवर को प्राथमिकता के रूप में चुन सकें।
यह आदेश जस्टिस रवि चिरानिया की ओर से जारी 35 बिंदुओं वाले विस्तृत फैसले का हिस्सा है, जिसमें साइबर क्राइम को अनियंत्रित और तेजी से बढ़ता खतरा बताया गया है। कोर्ट ने साफ कहा कि प्रदेश की साइबर पुलिसिंग अभी भी मजबूत नहीं है और ढांचागत सुधार जरूरी हैं।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राजस्थान साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर बनाने के निर्देश दिए, जो केंद्र सरकार के 4C मॉडल पर आधारित होगा। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि साल 2024 में डीजी साइबर क्राइम की नियुक्ति के बावजूद जांच व्यवस्था पर्याप्त नहीं हैं।
यह आदेश उस मामले की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें दो गुजरातियों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर एक बुजुर्ग दंपत्ति से 2.02 करोड़ रुपए की ठगी की थी। दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
-चौथा सिम कार्ड जारी करने से पहले टेलीकॉम कंपनियां सख्त जांच करें।
-निष्क्रिय या मृत खातों में फिजिकल KYC अनिवार्य हो।
-तीन साल से निष्क्रिय खातों में इंटरनेट बैंकिंग सेवाएं रोकने का सुझाव।
-सभी गिग वर्कर्स का डीजी साइबर क्राइम कार्यालय में अनिवार्य पंजीकरण।
-1 फरवरी से यूनिफॉर्म, QR कोड वाला आईडी कार्ड और कमर्शियल नंबर प्लेट जरूरी।
-पुराने डिजिटल उपकरणों की खरीद-फरोख्त पर सख्त निगरानी।
-कक्षा 9 या 16 वर्ष से कम आयु वाले छात्रों के लिए मोबाइल फोन उपयोग की स्पष्ट SOP तैयार की जाए।