Rajasthan Illegal Gravel Mining: बजरी के अवैध खनन को लेकर अवमानना के मामले में मुख्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने बजरी के अवैध खनन को लेकर अवमानना के मामले में मुख्य सचिव को दोषमुक्त कर दिया। न्यायाधीश अभय एस. ओका और न्यायाधीश उज्जल भुयान की खंडपीठ ने नवीन शर्मा की अवमानना याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में राज्य सरकार पर बजरी के अवैध खनन को रोकने में विफल रहने और सुप्रीम कोर्ट के 16 नवंबर 2017 के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में वैज्ञानिक पुनर्भरण अध्ययन और पर्यावरणीय मंजूरी के बिना बजरी के खनन पर पाबंदी लगा दी थी। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अदालती आदेशों के बावजूद राजस्थान में बड़े पैमाने पर बजरी का अवैध खनन जारी है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उनके पास 82 खदान मालिकों के खनन कार्य जारी रखने का कोई प्रमाण है। याचिकाकर्ता ने जवाब में कहा कि ये खनन नहीं कर रहे, लेकिन अन्य लोग अवैध खनन में लिप्त हैं। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर ऐसा है तो उपाय अवमानना याचिका नहीं, बल्कि अन्य माध्यम है। अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि राज्य में अवैध खनन रोकने के लिए कोर्ट के आदेशों और नियमों की पूरी तरह पालन की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर प्रतिबंध लगाया। इस प्रतिबंध के बावजूद अवैध बजरी खनन के समाचार आते रहे। इस पर राज्य सरकार ने सख्ती दिखाते हुए अवैध खनन में शामिल वाहनों को जब्त किया और दोषियों पर जुर्माना लगाया।