जोधपुर

Rajasthan : कनिष्का ने रोशन की तीन जिंदगियां, माता-पिता का यह भावुक फैसला नम कर देगा आंखें

Rajasthan : जोधपुर शहर के 16 वर्षीय छात्रा कनिष्का गौड़ ने जीवन के अंतिम क्षणों में मानवता की मिसाल पेश की। मरने के बाद भी कनिष्का तीन जिंदगियां रोशन कर गई। ब्रेन डेड बालिका का अंगदान हुआ। कनिष्का की यह कहानी आपकी आंखें नम कर देगी।

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ग्रीन कॉरिडोर के जरिए कनिष्का की एक किडनी एसएमएस जयपुर भेजी गई, कनिष्का गौड़ (इनसेट)। फोटो पत्रिका

Rajasthan : जोधपुर शहर के झालामंड बाबू नगर स्थित प्रजापति नगर की 16 वर्षीय छात्रा कनिष्का गौड़ ने जीवन के अंतिम क्षणों में भी मानवता की मिसाल पेश की। अशोक गौड़ और संगीता गौड़ की यह पुत्री 12 नवबर को एक दुर्घटना के बाद गंभीर अवस्था में एम्स जोधपुर में भर्ती हुई थी। 10 दिन तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करने के बाद 21 नवंबर को कनिष्का को ब्रेन डेड घोषित किया गया।

परिवार ने अथाह दुख के बीच 22 नवबर को उनकी दोनों किडनी और लिवर दान कर दिए। एम्स जोधपुर में पहली बार किसी बालिका का ब्रेन डेड ऑर्गन डोनेशन किया गया। इस साल का यह चौथा ब्रेन डेड ऑर्गन डोनेशन है। कनिष्का का शुरुआती उपचार डॉ. डेजी खेड़ा ने संभाला। सोटो, रोटो और नोटो के समन्वय से अंग आवंटन प्रक्रिया पूरी की गई। कनिष्का का हृदय और फेफड़े भी पूरी तरह स्वस्थ पाए गए, किंतु पूरे देश में किसी भी अस्पताल में इन अंगों के लिए उपयुक्त प्राप्तकर्ता (सूटेबल रेसिपेंट) उपलब्ध नहीं हो सका।

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इसके बाद घोषित आवंटन के अनुसार एक किडनी को एसएमएस अस्पताल जयपुर भेजा गया, जिसके लिए यातायात और प्रशासन की सहायता से ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। दूसरी किडनी एम्स जोधपुर में ही प्रत्यारोपित की गई, जिससे 40 वर्षीय महिला को नई जीवन आशा मिली। बालिका का लिवर भी एम्स जोधपुर में 55 वर्षीय मरीज को प्रत्यारोपित किया गया।

ये थी डॉक्टर्स की टीम

पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व संस्थान के कार्यकारी निदेशक प्रो. गोवर्धन दत्त पुरी व मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अभिषेक भारद्वाज ने किया। यूरोलॉजी विभाग की टीम डॉ. ए.एस. संधू, डॉ. गौतम राम चौधरी, डॉ. शिव चरण नावरिया (नोडल ऑफिसर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम), डॉ. दीपक भीरुड और डॉ. महेन्द्र सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वहीं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी टीम में डॉ. सुभाष सोनी, डॉ. पीयूष वार्ष्णेय, डॉ. सेल्वकुमार बी, डॉ. वैभव वार्ष्णेय और डॉ. लोकेश अग्रवाल सक्रिय रहे। एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. निखिल कोठारी, डॉ. अनिता और डॉ. भारत पालीवाल ने प्रक्रियाओं का सुचारू संचालन किया। न्यूरोसर्जरी विभाग से डॉ. जसकरन ने ब्रेन-डेथ निर्धारण और मूल्यांकन में विशेष योगदान दिया।

एम्स जोधपुर : अब तक 9वां मृतक अंगदान

यह एम्स जोधपुर का नौवां कैडैवरिक अंगदान है। मार्च 2024 में मृतक अंगदान कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से एम्स जोधपुर अब तक 14 किडनी, 6 लिवर, 3 हृदय और 1 पैंक्रियाज प्रत्यारोपण की सुविधा प्रदान कर चुका है।

आयुष्मान भारत योजना के तहत गंभीर मरीजों को आर्थिक राहत मिलने से अब पश्चिमी राजस्थान के लोगों को जीवनरक्षक उपचार के लिए बड़े शहरों की ओर नहीं जाना पड़ रहा। एम्स जोधपुर उन्नत प्रत्यारोपण सेवाओं का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है।

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Updated on:
23 Nov 2025 01:55 pm
Published on:
23 Nov 2025 01:54 pm
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