Rajasthan News: कोटा में एसीबी ने सीएनबी के नारकोटिक्स इंस्पेक्टर और दलाल को रिश्वतखोरी के मामले में पकड़ा जिसमें 3 लाख की घूस मांगी जा रही थी। जांच में यह सामने आया कि फरार निरीक्षक हितेश कुमार फाइल लेकर भाग गया।
Exclusive interview Of CBN Bhawanimandi Superintendent: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कोटा की स्पेशल यूनिट ने रविवार देर रात भवानी मंडी (झालावाड़) में कार्रवाई करते हुए केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (सीएनबी) के 3 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के मामले का खुलासा किया था।
कार्रवाई में एसीबी ने दलाल अकरम हुसैन को गिरफ्तार किया जबकि इंस्पेक्टर हितेश कुमार मौका पाकर फरार हो गया। मामले के बाद नारकोटिक्स विभाग में हड़कंप मच गया है। कार्रवाई के दौरान सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि जिस फाइल को निकालने के नाम पर रिश्वत मांगी गई थी वह फाइल अब कार्यालय से गायब है।
नारकोटिक्स के अधिकारियों ने बताया कि फरार निरीक्षक हितेश कुमार वह फाइल अपने साथ ले गया। एसीबी अब यह पता लगाने में जुटी है कि उस फाइल में क्या दस्तावेज थे और उसका उपयोग कहां किया गया। एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकुल शर्मा ने बताया कि फरार निरीक्षक की तलाश के लिए विशेष टीम गठित की गई है।
विभागीय कार्रवाई के लिए नारकोटिक्स विभाग को पत्र भेज दिया गया है। टीम को मौके पर मिले साक्ष्यों के आधार पर रिश्वतखोरी और अवैध वसूली से जुड़े कई बिंदुओं की जांच की जा रही है। दलाल अकरम को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उसको जेल भेज दिया गया है।
एसीबी सूत्रों के अनुसार कार्रवाई के दौरान निरीक्षक ने बिना किसी अपराध के चार लोगों को दफ्तर में बैठा रखा था, जिनमें बिजौलिया निवासी एक व्यक्ति और उसका नाबालिग बेटा भी था। बताया गया कि दोनों को छुड़वाने के लिए एक महिला अपने सोने के गहने बेचकर सवा लाख रुपए लेकर कार्यालय पहुंची थी। उसने एसीबी टीम को बताया कि उसके पति और बेटे को छोड़े जाने के बदले पैसे मांगे जा रहे थे। इसी प्रकार गंधार, मांडल और बिजौलिया के तीन अन्य लोगों को भी पिछले चार दिनों से कार्यालय में बैठाकर उनके परिजनों से रकम वसूली जा रही थी।
एसीबी टीम को मौके से एक दर्जन से अधिक खाली कागज मिले हैं जिनके नीचे कई लोगों के नाम और हस्ताक्षर दर्ज हैं। टीम को आशंका है कि इनका उपयोग लोगों को डराने या झूठे मुकदमे तैयार करने में किया जा रहा था। सभी कागज जब्त कर लिए गए हैं और फोरेंसिक जांच कराई जाएगी।
जांच में यह खुलासा भी हुआ कि दलाल अकरम हुसैन नारकोटिक्स निरीक्षक के वाहन को खुद चलाता था। वह इसी सरकारी वाहन से ग्रामीणों और किसानों पर दबाव बनाता था और कार्रवाई की धमकी दी जाती थी।
निरीक्षक ने बिना किसी अपराध के चार से पांच लोगों को कार्यालय में बैठा रखा था। क्या आपको इसकी जानकारी नहीं थी?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। अपराधियों को पकड़ने में कई बार मशक्कत करनी पड़ती है। कोई अपना जुर्म आसानी से कबूल नहीं करता इसलिए पूछताछ के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए रोका जाता है।
लेकिन एसीबी की जांच में सामने आया है कि उन्हें बिना किसी जुर्म के कार्यालय में बैठाया गया था और एक महिला अपने पति व बेटे को छुड़वाने के लिए पैसे लेकर भी पहुंची थी।
यह सही नहीं है। उन लोगों को केवल पूछताछ के लिए बुलाया गया था। जब उनके खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं हुआ, तो उन्हें छोड़ दिया गया।
जांच में यह भी सामने आया है कि दलाल अकरम नॉरकोटिक्स की गाड़ी लेकर घूमता था।
ऐसा कैसे हो सकता है! कोई सरकारी गाड़ी लेकर कैसे घूम सकता है? हां अगर किसी ने अपने वाहन पर नारकोटिक्स की प्लेट या बत्ती लगा ली हो तो वह अलग बात है। ऐसे मामलों में जानकारी मिलते ही हम कार्रवाई करते हैं।
अगर कोई फर्जी तरीके से नारकोटिक्स का वाहन बनाकर घूम रहा है, तो आप क्या करेंगे?
क्षेत्र बहुत बड़ा है। हर गतिविधि पर तुरंत नजर रखना संभव नहीं है। आजकल कई लोग नारकोटिक्स का लोगो लगाकर ऑनलाइन फ्रॉड तक कर रहे हैं। शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाती है।
जिस फाइल के लिए रिश्वत मांगी गई, वही अब कार्यालय में नहीं है।
वह फाइल जांच के लिए संबंधित अधिकारी को दी गई थी। फिलहाल कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। हमने एसीबी को लिखित में इसकी जानकारी दी है। जैसे ही फाइल मिलती है उसे एसीबी को सौंप दिया जाएगा।