AI Image Trends 2025: इस साल Retro Saree, Ghibli और 3D Statue जैसे AI Image Trends खूब वायरल हुए। लेकिन फ्री फोटो के चक्कर में आपका डेटा चोरी हो रहा है? जानें असली सच।
Top AI Image Trends 2025: साल 2025 अब खत्म होने को है। अगर हम पीछे मुड़कर देखें, तो यह साल यकीनन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के नाम रहा है। और उसमें भी सबसे ज्यादा शोर मचाया AI इमेज जनरेटर्स ने।
जरा अपना सोशल मीडिया याद कीजिए। कभी आपकी मौसी 90 के दशक की किसी हेरोइन जैसी साड़ी में नजर आ रही थीं, तो कभी आपका दोस्त किसी छोटे से खिलौने जैसा दिख रहा था। देखने में यह सब कितना मजेदार लगता है न? एक क्लिक, एक प्रॉम्प्ट और आप बन गए स्टार। लेकिन, इस चकाचौंध के बीच एक बहुत जरूरी बात हम सब भूल गए। वो यह कि फ्री में बन रही इन शानदार तस्वीरों की कीमत हम अपने डेटा से चुका रहे हैं।
आज हम बात करेंगे 2025 के उन ट्रेंड्स की जिन्होंने हमें एंटरटेन तो खूब किया, लेकिन साथ ही हमारी प्राइवेसी के लिए खतरे की घंटी भी बजा दी।
आपको याद होगा, जब गूगल का नया फीचर और कुछ थर्ड पार्टी ऐप्स आए, तो रेट्रो साड़ी ट्रेंड ने इंटरनेट पर आग लगा दी थी। आम महिलाओं से लेकर बड़ी-बड़ी फीमेल सेलिब्रिटीज ने अपनी तस्वीरें पोस्ट कीं। तस्वीरें वाकई खूबसूरत थीं, एकदम विंटेज लुक।
लेकिन खतरा यहीं था। इन ऐप्स को इस्तेमाल करने के लिए लोगों ने अपनी बेहद साफ और क्लोज-अप सेल्फी अपलोड कीं। टेक एक्सपर्ट्स ने उसी वक्त चेताया था कि कई थर्ड-पार्टी ऐप्स जिनका कोई अता-पता नहीं था, वे भी इस ट्रेंड की बहती गंगा में हाथ धो रहे थे। हमने बिना सोचे-समझे अपनी बायोमेट्रिक पहचान अंजान सर्वर्स को सौंप दी।
साड़ी ट्रेंड के बाद नंबर आया 3D स्टैच्यू और मिनीएचर (Miniature) ट्रेंड का। इसमें जेमिनी (Gemini) जैसे टूल्स का इस्तेमाल हुआ। प्रॉम्प्ट डालकर खुद की मूर्ति बनते हुए दिखाना या खुद को छोटा खिलौना बनाना सबको भा गया।
यहां समझने वाली बात यह है कि जब आप किसी भरोसेमंद प्लेटफॉर्म (जैसे Google या Microsoft) का इस्तेमाल करते हैं, तो वहां सुरक्षा के मानक थोड़े कड़े होते हैं। लेकिन 2025 में हुआ यह कि इन बड़े टूल्स की देखा-देखी सैकड़ों फर्जी ऐप्स और वेबसाइट्स कुकुरमुत्ते की तरह उग आईं। लोगों ने यह चेक करना भी जरूरी नहीं समझा कि जिस वेबसाइट पर वे अपनी फोटो अपलोड कर रहे हैं, वह सुरक्षित है भी या नहीं।
इस लिस्ट में स्टूडियो घिबली (Ghibli) ट्रेंड का जिक्र न हो, तो बात अधूरी रहेगी। इसमें लोगों ने अपनी बोरिंग सेल्फी को जादुई एनिमेशन में बदला, जिसे खूब पसंद किया गया। वहीं, साल का शायद सबसे वायरल और उपयोगी ट्रेंड AI प्रोफेशनल हेडशॉट रहा। इसमें हजारों युवाओं ने स्टूडियो गए बिना, अपनी घर की फोटो को सूट-बूट वाली कॉर्पोरेट प्रोफाइल फोटो में बदल लिया। यह ट्रेंड इतना चला कि लोगों ने इसे अपनी सीवी (CV) तक में लगा लिया। लेकिन यहीं हम चूक गए प्रोफेशनल फोटो के चक्कर में हमने अपनी सबसे हाई-क्वालिटी और क्लियर इमेज प्रोसेस होने के लिए उन ऐप्स को दे दीं, जिनकी सुरक्षा नीतियों का हमें कुछ अता-पता नहीं था।
आप सोच रहे होंगे कि, 'मेरी एक फोटो से क्या ही हो जाएगा?' तो इसका सीधा जवाब है - बहुत कुछ। 2025 में ही हमने देखा कि डीपफेक (Deepfake) टेक्नोलॉजी कितनी खतरनाक हो चुकी है।
चेहरे की क्लोनिंग: आपने जो हाई-क्वालिटी फोटो अपलोड की, उसका इस्तेमाल आपके चेहरे का डिजिटल क्लोन बनाने के लिए किया जा सकता है। इसका गलत इस्तेमाल वीडियो कॉलिंग स्कैम में हो सकता है।
डेटा की बिक्री: कई फ्री ऐप्स अपना खर्चा चलाने के लिए यूजर्स का डेटा थर्ड पार्टी विज्ञापन कंपनियों को बेच देते हैं।
अनचाही परमिशन: फोटो बनाने के चक्कर में हमने कई ऐप्स को अपने फोन की गैलरी, कॉन्टैक्ट्स और लोकेशन तक का एक्सेस दे दिया।
सावधानी ही बचाव है ऐसा नहीं है कि हमें तकनीक से डरकर भागना है। AI तस्वीरें बनाना मजेदार है और रहेगा। लेकिन 2026 में कदम रखने से पहले यह सबक लेना जरूरी है। अगली बार जब कोई नया ट्रेंड आए, तो अपनी फोटो अपलोड करने से पहले दो बार सोचें। देखें कि ऐप कौन सा है, वह आपसे क्या परमिशन मांग रहा है।
याद रखिए, इंटरनेट पर जब कोई चीज एकदम मुफ्त मिलती है, तो समझ लीजिए कि वहां प्रोडक्ट आप खुद हैं।