Bihar Jamin Survey: बिहार के कई परिवारों को पुश्तैनी जमीन की जानकारी नहीं होती, जिससे जमीन विवाद या धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। अब डिजिटल माध्यम से आप आसानी से खाता, खेसरा, मौजा या रैयत के नाम से जमीन की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Bihar Jamin Online Kaise Check Kare: बिहार में जमीन सर्वे को लेकर राज्यभर में अलग-अलग जगह शिविर लगाकर इस काम को किया जा रहा है। वहीं अब बिहार के नागरिक अपनी जमीन से जुड़ी जानकारी बहुत ही आसानी से ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। राज्य सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीन से जुड़े सभी रिकॉर्ड्स को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध करा दिया है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति अपने या अपने पूर्वजों की जमीन का विवरण ऑनलाइन चेक कर सकता है। साथ ही किसी भी पुश्तैनी जमीन का स्टेटस जान सकते हैं। यदि आप जानना चाहते हैं कि Bihar Jamin Online Kaise Check Kare 2025, तोनिचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं।
ऑनलाइन जमीन चेक करने के लिए निम्नलिखित में से कोई एक जानकारी आपके पास उपलब्ध होनी चाहिए।
रैयत (मालिक) का नाम
खाता नंबर
खेसरा नंबर
मौजा (गांव) का नाम
जिला और अंचल का विवरण
अपने मोबाइल या लैपटॉप पर इंटरनेट ब्राउज़र खोलें।
आधिकारिक वेबसाइट biharbhumi.bihar.gov.in पर क्लिक करें।
वेबसाइट के होमपेज पर "जमाबंदी पंजी देखें" (View Jamabandi Register) के विकल्प को चुनें।
अब आपके सामने "पंजी-II रिपोर्ट" वाला फॉर्म खुलेगा।
ड्रॉपडाउन विकल्प से अपना जिला और अंचल (प्रखंड) चुनें और "Proceed" पर क्लिक करें।
इसके बाद हल्का और मौजा (गांव) का चयन करें।
ज़मीन की जानकारी देखने के लिए विकल्प चुनें - जैसे कि रैयत का नाम, खाता नंबर या खेसरा नंबर।
चयन के अनुसार जानकारी दर्ज करें, कैप्चा कोड भरें और "Search" पर क्लिक करें।
आपके सामने जमीन से संबंधित पूरी जानकारी खुल जाएगी, जैसे कि खाता संख्या, खेसरा नंबर, क्षेत्रफल, और मालिक का नाम।
जानकारी देखने के बाद "View" पर क्लिक करें।
डिटेल देखने के बाद आप इसे डाउनलोड या सेव भी कर सकते हैं।
यह प्रक्रिया पूरी तरह निशुल्क है।
बिहार के कई परिवारों को पुश्तैनी जमीन की जानकारी नहीं होती, जिससे जमीन विवाद या धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। अब डिजिटल माध्यम से आप आसानी से खाता, खेसरा, मौजा या रैयत के नाम से जमीन की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल तेज और सुविधाजनक है, बल्कि पूरी तरह पारदर्शी भी है। सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरुरत अब नहीं पड़ती। नहीं तो पहले अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे और उसके बाद भी सटीक जानकारी नहीं मिल पाती थी।