Mobile Manufacturing in India: पिछले चार वर्षों में भारत में मोबाइल निर्माण 146% बढ़ा है, जबकि मोबाइल निर्यात में 775% की वृद्धि हुई है। पीएलआई योजना और मेक इन इंडिया 2.0 का असर साफ दिख रहा है।
Mobile Manufacturing in India: भारत में मोबाइल फोन निर्माण उद्योग ने बीते चार वर्षों में जबरदस्त उछाल दर्ज किया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में जहां मोबाइल प्रोडक्शन 2.13 लाख करोड़ रुपये था, वहीं यह आंकड़ा 2024-25 में बढ़कर 5.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह लगभग 146 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दिखाता है।
सिर्फ उत्पादन ही नहीं, मोबाइल फोन के निर्यात में भी रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई है। 2020-21 में जहां निर्यात 22,870 करोड़ रुपये का था वहीं यह 2024-25 में बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह 775 प्रतिशत की बढ़त है जो भारत को एक प्रमुख मोबाइल एक्सपोर्टिंग देश के रूप में स्थापित करता है।
पीयूष गोयल ने बताया कि इस उपलब्धि के पीछे केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना की अहम भूमिका रही है। इस योजना के जरिए न सिर्फ भारत में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला बल्कि कई बड़ी स्मार्टफोन कंपनियों ने अपना प्रोडक्शन भारत में शिफ्ट किया। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
मोबाइल क्षेत्र के अलावा, पीएलआई योजना का असर फार्मा और मेडिकल उपकरण निर्माण में भी देखने को मिला है। अब भारत में पेनिसिलिन-जी जैसे इंटरमीडिएट्स और सीटी स्कैन, एमआरआई जैसे डिवाइसेज भी बनाए जा रहे हैं। इससे विदेशों पर निर्भरता घट रही है।
सरकार की योजना के तहत अब एयर कंडीशनर, एलईडी लाइट और इनके पार्ट्स जैसे कंप्रेसर, मोटर, हीट एक्सचेंजर, और एलईडी ड्राइवर्स का भी उत्पादन भारत में शुरू हो चुका है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनाना है।
सरकार ने 'मेक इन इंडिया 2.0' पहल भी शुरू की है जिसमें 27 क्षेत्रों को फोकस किया गया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत 12 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल लागत 28,602 करोड़ रुपये है।