IIT-K : आईआईटी-कानपुर की स्टडी में उत्तर प्रदेश के वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति सामने आई है। आजमगढ़, भदोही और शामली जैसे जिले सबसे अधिक प्रदूषित पाए गए हैं। अब विश्व बैंक की मदद से राज्य सरकार क्लीन एयर प्रोग्राम शुरू करने जा रही है, जो तकनीकी व नीतिगत समाधान प्रदान करेगा।
IIT-K Air Pollution: उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। आईआईटी कानपुर की ताजा रिपोर्ट ने राज्य के सबसे प्रदूषित जिलों की सूची जारी की है, जिसमें आजमगढ़, संत रविदास नगर (भदोही), शामली और अंबेडकरनगर शीर्ष पर हैं। यह रिपोर्ट बुधवार को 'स्केलेबल एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजीज फॉर नियर रियल-टाइम डिसीजन मेकिंग' विषयक सम्मेलन में प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
आईआईटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि यह अध्ययन लगभग 830 स्थानों से एकत्र किए गए रियल-टाइम एयर क्वालिटी डेटा पर आधारित है। यह डेटा नवंबर 2024 में एकत्र किया गया था। इसके विश्लेषण से पता चला कि राज्य के कई जिले पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कणों की अत्यधिक मात्रा के कारण गंभीर प्रदूषण की स्थिति में हैं।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आरपी सिंह ने कहा कि ईंट भट्टों से निकलने वाला धुआं, निर्माण स्थलों से उड़ती धूल, और खुले में कचरा जलाने की प्रथा वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। इसके अलावा वाहनों से होने वाला प्रदूषण और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली गैसें भी प्रमुख योगदान देती हैं।
वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने कहा कि अब तक यह धारणा थी कि वायु प्रदूषण केवल शहरी समस्या है, लेकिन वर्तमान अध्ययन से स्पष्ट होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी वायु की गुणवत्ता तेजी से गिर रही है। राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा शहरी क्षेत्रों में निवास करता है, लेकिन अब ग्रामीणों की ओर से भी स्वच्छ वायु की मांग सामने आ रही है।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत एक नई पहल की घोषणा करते हुए अनिल कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बनेगा जो विश्व बैंक के सहयोग से क्लीन एयर प्रोग्राम लॉन्च करेगा। इस कार्यक्रम के तहत प्रदूषित जिलों में प्रदूषण नियंत्रण हेतु तकनीकी समाधान, निगरानी प्रणाली, जन जागरूकता अभियान और नीति-स्तरीय बदलाव लागू किए जाएंगे।
आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित रीयल-टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम से यह संभव होगा कि प्रशासनिक स्तर पर त्वरित निर्णय लिए जा सकें। इससे न केवल तात्कालिक समाधान मिलेंगे, बल्कि दीर्घकालीन रणनीतियों का भी मार्ग प्रशस्त होगा।