लखनऊ

IIT-K : यूपी के 10 सबसे प्रदूषित जिले उजागर, विश्व बैंक से क्लीन एयर प्रोग्राम को मिलेगी मदद

IIT-K : आईआईटी-कानपुर की स्टडी में उत्तर प्रदेश के वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति सामने आई है। आजमगढ़, भदोही और शामली जैसे जिले सबसे अधिक प्रदूषित पाए गए हैं। अब विश्व बैंक की मदद से राज्य सरकार क्लीन एयर प्रोग्राम शुरू करने जा रही है, जो तकनीकी व नीतिगत समाधान प्रदान करेगा।

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Jul 03, 2025
रिपोर्ट ने खोली वायु प्रदूषण की सच्चाई फोटो सोर्स :Social Media

IIT-K Air Pollution: उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। आईआईटी कानपुर की ताजा रिपोर्ट ने राज्य के सबसे प्रदूषित जिलों की सूची जारी की है, जिसमें आजमगढ़, संत रविदास नगर (भदोही), शामली और अंबेडकरनगर शीर्ष पर हैं। यह रिपोर्ट बुधवार को 'स्केलेबल एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजीज फॉर नियर रियल-टाइम डिसीजन मेकिंग' विषयक सम्मेलन में प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।

830 स्थानों से जुटाए गए आंकड़े

आईआईटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि यह अध्ययन लगभग 830 स्थानों से एकत्र किए गए रियल-टाइम एयर क्वालिटी डेटा पर आधारित है। यह डेटा नवंबर 2024 में एकत्र किया गया था। इसके विश्लेषण से पता चला कि राज्य के कई जिले पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कणों की अत्यधिक मात्रा के कारण गंभीर प्रदूषण की स्थिति में हैं।

नवंबर 2024 में वायु प्रदूषण का हाल

  • कुशीनगर: PM2.5 स्तर – 363.0 μg/m³
  • गोंडा: 293.7 μg/m³
  • बहराइच: 267.2 μg/m³
  • बलिया और अंबेडकरनगर में भी उच्च स्तर दर्ज किया गया।
  • इन जिलों के अलावा महाराजगंज, श्रावस्ती, मैनपुरी, बागपत, गौतमबुद्धनगर और कासगंज को भी शीर्ष दस प्रदूषित जिलों में रखा गया है।

प्रमुख कारण: ईंट भट्टे, निर्माण कार्य, कचरा जलाना

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आरपी सिंह ने कहा कि ईंट भट्टों से निकलने वाला धुआं, निर्माण स्थलों से उड़ती धूल, और खुले में कचरा जलाने की प्रथा वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। इसके अलावा वाहनों से होने वाला प्रदूषण और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली गैसें भी प्रमुख योगदान देती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिगड़ रही हवा

वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने कहा कि अब तक यह धारणा थी कि वायु प्रदूषण केवल शहरी समस्या है, लेकिन वर्तमान अध्ययन से स्पष्ट होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी वायु की गुणवत्ता तेजी से गिर रही है। राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा शहरी क्षेत्रों में निवास करता है, लेकिन अब ग्रामीणों की ओर से भी स्वच्छ वायु की मांग सामने आ रही है।

विश्व बैंक करेगा क्लीन एयर प्रोग्राम को फंड

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत एक नई पहल की घोषणा करते हुए अनिल कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बनेगा जो विश्व बैंक के सहयोग से क्लीन एयर प्रोग्राम लॉन्च करेगा। इस कार्यक्रम के तहत प्रदूषित जिलों में प्रदूषण नियंत्रण हेतु तकनीकी समाधान, निगरानी प्रणाली, जन जागरूकता अभियान और नीति-स्तरीय बदलाव लागू किए जाएंगे।

प्रभावी समाधान और योजनाएं

  • मॉडल ईंट भट्टों का निर्माण: पारंपरिक भट्टों के स्थान पर ज़िगज़ैग तकनीक वाले मॉडल भट्टे लगाकर प्रदूषण में कमी लाई जाएगी।
  • ग्रीन कवर बढ़ाने का अभियान: इन जिलों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए जाएंगे।
  • जनभागीदारी: स्कूलों, कॉलेजों, और सामाजिक संगठनों के माध्यम से स्वच्छ वायु जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
  • डस्ट कंट्रोल यूनिट्स: निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण की निगरानी के लिए डिवाइसेज़ लगाए जाएंगे।

आईआईटी की तकनीकी मदद से होगा निर्णय

आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित रीयल-टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम से यह संभव होगा कि प्रशासनिक स्तर पर त्वरित निर्णय लिए जा सकें। इससे न केवल तात्कालिक समाधान मिलेंगे, बल्कि दीर्घकालीन रणनीतियों का भी मार्ग प्रशस्त होगा।

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