
LDA की योजनाओं में जमीन की कीमत बढ़ाने की तैयारी फोटो सोर्स : Patrika
LDA Plots: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) अपनी योजनाओं में जमीन की दरों को लेकर बड़ा निर्णय लेने की तैयारी में है। आगामी महीने से लागू होने जा रहे नए डीएम सर्किल रेट को ध्यान में रखते हुए एलडीए अपनी पुरानी और नई योजनाओं में जमीन की कीमतों की समीक्षा कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार जहां जमीन की कीमतें वर्तमान सर्किल रेट से कम हैं, वहां दरें बढ़ाई जाएंगी, जबकि जहां पहले से ही रेट ज्यादा हैं, वहां कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस कदम का असर एलडीए की व्यावसायिक, आवासीय और नई प्रस्तावित योजनाओं पर सीधे पड़ेगा। साथ ही, यह निर्णय सरकारी मुआवजे, लैंड पूलिंग और अधिग्रहण की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकता है।
एलडीए की कई पुरानी और वर्तमान योजनाओं में दुकानों और व्यावसायिक भूखंडों की नीलामी समय-समय पर की जाती रही है। लेकिन कुछ योजनाएं ऐसी भी हैं जहां अभी भी काफी संख्या में भूखंड खाली हैं। इन परियोजनाओं में मौजूदा एलडीए रेट जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित सर्किल रेट से कम हैं। ऐसे में इन स्थानों पर नए सर्किल रेट लागू होते ही जमीन की कीमतें बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे प्राधिकरण को अधिक राजस्व प्राप्त होगा और साथ ही उसकी संपत्तियों का बाजार मूल्य भी संतुलित होगा। हालांकि, गोमती नगर, अलीगंज, विकास नगर, ट्रांस गोमती जैसे क्षेत्रों में एलडीए का जमीन रेट पहले से ही सर्किल रेट से अधिक है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे क्षेत्रों में कीमतें बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है।
एलडीए ने कुछ समय पहले "पहले आओ, पहले पाओ" नीति के तहत कई मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए फ्लैट्स बेचना शुरू किया था। इन फ्लैट्स की कीमतें एक साल पहले ही फ्रीज कर दी गई थीं, इसलिए इनपर नए सर्किल रेट का कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा। एलडीए अधिकारियों का कहना है कि इस नीति का उद्देश्य आम जनता को किफायती दरों पर मकान उपलब्ध कराना है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की बढ़ोत्तरी नहीं की जाएगी।
इनमें से कई योजनाओं के लिए लैंड पूलिंग मॉडल अपनाया गया है, जहां किसान स्वेच्छा से अपनी जमीन एलडीए को देते हैं और बदले में विकसित भूखंड प्राप्त करते हैं। लेकिन कुछ क्षेत्रों में एलडीए को अधिग्रहण की प्रक्रिया अपनानी पड़ सकती है, खासकर वहां जहां लैंड पूलिंग सफल नहीं हो पा रही है। नए सर्किल रेट लागू होने के बाद यदि अधिग्रहण की आवश्यकता पड़ी, तो किसानों को नए रेट के अनुसार मुआवजा देना पड़ेगा, जिससे परियोजनाओं की लागत में वृद्धि हो सकती है। हालांकि एलडीए अधिकारियों का दावा है कि लैंड पूलिंग के जरिए किसानों को पहले से ही बाजार दर से अधिक लाभ मिल रहा है, जिससे कुल लागत पर बहुत अधिक असर नहीं होगा।
एलडीए अधिकारियों का कहना है कि दरों को लेकर कोई भी अंतिम निर्णय नए सर्किल रेट लागू होने और उसके प्रभाव की समीक्षा के बाद ही लिया जाएगा। सभी योजनाओं का मूल्यांकन अलग-अलग किया जाएगा ताकि जहां जरूरत है केवल वहीं दरों में संशोधन हो। इस प्रक्रिया का उद्देश्य न केवल विकास परियोजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करना है, बल्कि सरकारी जमीनों के सही मूल्यांकन और उपयोग को भी सुनिश्चित करना है।
नगर विकास और अचल संपत्ति विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एलडीए संतुलित नीति अपनाता है तो यह कदम राजस्व बढ़ाने और प्रोजेक्ट्स को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मददगार होगा। हालांकि, वे यह भी चेतावनी देते हैं कि यदि दरें अत्यधिक बढ़ा दी गई तो यह आम नागरिकों की पहुंच से बाहर हो सकता है और योजनाओं की बिक्री प्रभावित हो सकती है।
नए डीएम सर्किल रेट लागू होने के बाद एलडीए का जमीन दरों को लेकर रुख और फैसले शहर के रियल एस्टेट बाजार को नई दिशा दे सकते हैं। जहां इससे प्राधिकरण की आय में बढ़ोतरी की उम्मीद है, वहीं यह आम नागरिकों, किसानों और निवेशकों के लिए अवसर और चुनौती दोनों लेकर आ सकता है। अभी इस पर अंतिम निर्णय बाकी है, लेकिन स्पष्ट है कि राजधानी लखनऊ में अचल संपत्ति से जुड़े समीकरण बदलने वाले हैं।
Published on:
03 Jul 2025 08:57 am
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