NHM Workers’ Salary Crisis in UP: लखनऊ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) से जुड़े हजारों कर्मचारी तीन माह से मानदेय न मिलने से आर्थिक संकट में हैं। दशहरा बिना वेतन गुजार चुके ये कर्मचारी दिवाली भी अधर में देखते हुए आक्रोशित हैं। एंबुलेंस कर्मियों ने 10 अक्टूबर तक भुगतान न होने पर सेवाएं ठप करने की चेतावनी दी है।
Health Workers Protest in UP: उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) से जुड़े हजारों कर्मचारियों को तीन माह से मानदेय न मिलने के चलते गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। दशहरा बिना वेतन गुजारने वाले ये कर्मचारी अब दिवाली भी अधर में देखते हुए आक्रोशित हैं। एंबुलेंस सेवा से जुड़े कर्मियों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि 10 अक्टूबर तक मानदेय भुगतान नहीं हुआ तो वे सेवाएं ठप करने पर विवश होंगे। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों की परेशानी बढ़ा रही है बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गंभीर संकट खड़ा कर रही है।
मामले की जड़ में केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2023 में किया गया एक अहम फैसला है। भारत सरकार ने एनएचएम कर्मचारियों के मानदेय भुगतान की प्रक्रिया में बदलाव करते हुए सभी योजनाओं के लिए सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) ई-स्पर्श प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया था। इस नई व्यवस्था के तहत केंद्र से प्रायोजित योजनाओं का सारा फंड सीधे ऑनलाइन सिस्टम के जरिए ही राज्यों को जारी किया जाएगा। इसका उद्देश्य पारदर्शिता और समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करना था।
लेकिन उत्तर प्रदेश में विभागीय अफसरों की लापरवाही से यह प्रणाली समय पर लागू नहीं हो पाई। नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किए गए और आवश्यक तकनीकी तैयारियां अधूरी रह गईं। नतीजा यह हुआ कि केंद्र ने इस प्रणाली में शामिल न होने पर एनएचएम का बजट रोक दिया। बजट रुकने के कारण प्रदेश के हजारों कर्मचारियों का मानदेय अटक गया।
मानदेय भुगतान में देरी पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने नाराजगी जाहिर करते हुए चार दिन पहले ही अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए थे कि त्योहार के मौके पर सभी एनएचएम कर्मियों का मानदेय तत्काल भुगतान किया जाए। इसके बावजूद भुगतान नहीं हो सका है। उप मुख्यमंत्री ने मिशन निदेशक से इस पूरे मामले की रिपोर्ट भी तलब की है और जिम्मेदार अधिकारियों के नाम मांगे हैं। यह स्थिति शासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। सरकार की मंशा स्पष्ट होने के बावजूद अधिकारियों की उदासीनता से हजारों परिवार त्योहारों पर परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
प्रदेश में वर्तमान समय में एक लाख से अधिक एनएचएम कर्मी कार्यरत हैं। इनमें डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन और अन्य स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं। इसके अलावा 108 और 102 एंबुलेंस सेवाएं, एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस सेवा और विभिन्न जांच सेवाएं भी एनएचएम के जरिए ही संचालित होती हैं। इन सेवाओं से जुड़े करीब 50 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं।
सिर्फ एंबुलेंस सेवाओं के ही हजारों कर्मचारी वेतन न मिलने से परेशान हैं। इनमें चालक, ईएमटी, पैरामेडिकल स्टाफ और सपोर्टिंग स्टाफ शामिल हैं। सभी का कहना है कि जब तक एनएचएम से भुगतान नहीं होगा, तब तक उन्हें मानदेय मिलना संभव नहीं है।
मानदेय भुगतान में देरी से सबसे अधिक प्रभावित एंबुलेंस सेवाओं से जुड़े कर्मचारी हैं। दो दिन पहले लखनऊ में मुख्यालय पहुंचकर इन कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया और चेतावनी दी कि यदि 10 अक्टूबर तक उनका मानदेय भुगतान नहीं किया गया तो वे प्रदेशभर में सेवाएं ठप कर देंगे। कर्मचारियों का कहना है कि वे दशहरा नहीं मना पाए हैं और अब दिवाली भी अधर में है। घर चलाना मुश्किल हो गया है, बच्चों की पढ़ाई और घर के खर्चे तक पूरे नहीं हो पा रहे हैं। कर्मचारियों ने इसे जीवनयापन पर संकट बताते हुए आंदोलन की राह पर जाने का संकेत दिया है।
संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री योगेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि लगातार देरी से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कई जिलों से कर्मचारियों ने संघ को चेतावनी दी है कि यदि समय रहते भुगतान नहीं हुआ तो वे मजबूर होकर आंदोलन करेंगे। उपाध्याय ने कहा कि फिलहाल संघ कर्मचारियों को शांत कराने का प्रयास कर रहा है, लेकिन यदि दो-चार दिन में भुगतान नहीं हुआ तो स्थिति गंभीर हो सकती है। आंदोलन की स्थिति बनी तो स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा असर पड़ेगा।
इस बीच अपर मुख्य सचिव चिकित्सा अमित कुमार घोष ने कहा है कि सभी जिलों में जल्द से जल्द मानदेय भुगतान करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। कुछ जिलों में भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और उम्मीद है कि दो-चार दिन में सभी कर्मचारियों का मानदेय उनके खातों में पहुंच जाएगा। उन्होंने स्वीकार किया कि तकनीकी कारणों से भुगतान में देरी हुई है, लेकिन अब यह समस्या जल्द दूर हो जाएगी।
त्योहारों के मौसम में मानदेय न मिलना कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए भारी संकट लेकर आया है। अधिकांश कर्मचारी सीमित मानदेय पर ही जीवन यापन करते हैं। तीन माह से वेतन न मिलने के कारण घरों में खाने-पीने से लेकर बच्चों की पढ़ाई, मकान का किराया, बिजली-पानी के बिल तक अटक गए हैं। कई कर्मचारियों को कर्ज लेना पड़ रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि जब प्रदेश के मुखिया और उपमुख्यमंत्री तक समय पर भुगतान का आदेश दे चुके हैं, तब भी वेतन न मिलना अफसरशाही की लापरवाही और संवेदनहीनता को दर्शाता है।
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभागयह पूरा मामला प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़ा करता है। एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और जनता को बेहतर सुविधाएं देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर उन्हीं कर्मचारियों को मानदेय तक समय पर नहीं मिल पा रहा है जो इन सेवाओं को जमीनी स्तर पर संचालित कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो एंबुलेंस सेवाएं और स्वास्थ्य सुविधाएं ठप हो सकती हैं, जिसका खामियाजा सीधे मरीजों को भुगतना पड़ेगा।