स्मार्ट ब्रीथ सेंसर तकनीक विकास के एक सक्रिय क्षेत्र में है और अभी तक एक मानक ग्लूकोमीटर की तरह आम मरीजों के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध उत्पाद नहीं है।
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के भौतिकी विभाग में प्रो. बी. सी. यादव के मार्गदर्शन में डॉ. मोनू गुप्ता ने एक नया पेपर-आधारित स्मार्ट ब्रीथ सेंसर विकसित किया है। यह सेंसर एक अभिनव नैनोकॉम्पोजिट का उपयोग करता है और सांस में मौजूद एसीटोन—जो डायबिटीज और मेटाबोलिक विकारों का एक प्रमुख बायोमार्कर है—को नॉन-इनवेसिव तरीके से सटीक रूप से पहचानने में सक्षम है।
मोलीब्डेनम ट्राइऑक्साइड (MoO₃) और Nb₂CTx MXene के विशिष्ट संयोजन पर आधारित यह सेंसर अत्यंत कम सांद्रता पर भी एसीटोन को उच्च संवेदनशीलता और चयनात्मकता के साथ पहचान लेता है। यह तकनीक कम-लागत, पोर्टेबल और आसानी से उपयोग योग्य डायग्नोस्टिक उपकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो पर्यावरणीय और मानव श्वास दोनों में एसीटोन का पता लगा सकती है। कम पीपीएम स्तर तक एसीटोन को पहचानने की क्षमता इसे भविष्य में सांस आधारित डायबिटीज निगरानी तथा अन्य मेटाबोलिक विकारों की गैर-आक्रामक स्क्रीनिंग की दिशा में अत्यंत उपयोगी बनाती है। यह शोधकार्य अमेरिकन केमिकल सोसायटी के प्रतिष्ठित जर्नल Applied Engineering Materials में प्रकाशित हुआ है। बीबीएयू के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर पूरी शोध टीम को हार्दिक बधाई दी है। मधुमेह रोगियों के लिए "स्मार्ट" श्वास सेंसर एक उभरती हुई, गैर-आक्रामक तकनीक है जो अभी विकास के चरण में है, लेकिन दैनिक रक्त शर्करा (बीजीएल) निगरानी के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध व्यावसायिक उत्पाद नहीं है। ये सेंसर सांस में मौजूद एसीटोन का पता लगाकर काम करते हैं , जो एक प्रमुख वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) बायोमार्कर है और रक्त कीटोन और ग्लूकोज के स्तर से संबंधित है।