लखनऊ

UP Education: यूपी के 5,118 स्कूलों में शुरू होंगी रंगीन बाल वाटिकाएं, नन्हे-मुन्नों को मिलेगा खेल-खेल में ज्ञान

UP Launches 5,118 Colorful Balvatikas:   राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उत्तर प्रदेश के 5,118 सरकारी स्कूलों में आधुनिक सुविधाओं से लैस बाल वाटिकाओं की शुरुआत हो रही है। स्वतंत्रता दिवस पर इनका शुभारंभ होगा। ये बालवाटिकाएं 3-6 वर्ष के बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा, पोषण और सुरक्षित वातावरण प्रदान कर उन्हें कक्षा-1 के लिए पूरी तरह तैयार करेंगी

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Aug 14, 2025
स्वतंत्रता दिवस पर होगी 5,118 सरकारी स्कूलों में बाल वाटिकाओं की शुरुआत फोटो सोर्स : Social Media

UP Education Balvatika: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत उत्तर प्रदेश में 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बालवाटिकाएं अब केवल खेल का स्थान नहीं रहेंगी, बल्कि नन्हे-मुन्नों के लिए सीखने और खेलने का रंगीन संसार बनकर तैयार हो चुकी हैं। स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर इन बाल वाटिकाओं का औपचारिक शुभारंभ होगा। इसके साथ ही प्रदेश के 5,118 विद्यालयों में बच्चों के सर्वांगीण विकास की मजबूत नींव रखी जाएगी। बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार यह पहल ‘स्कूल रेडिनेस’ को मजबूत बनाने के उद्देश्य से की जा रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (ICDS) के सहयोग से नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्रों को इन स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया गया है। इन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण, आनंददायक और सुरक्षित अधिगम का अनुभव मिल सके।

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“बालवाटिकाओं से नन्हे-मुन्नों का भविष्य मजबूत”- संदीप सिंह

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप बाल वाटिकाओं के माध्यम से नन्हे-मुन्नों के भविष्य की मजबूत नींव रखी जा रही है। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि हर बच्चा कक्षा-1 में प्रवेश से पहले मानसिक और सामाजिक रूप से पूरी तरह तैयार हो। पोषण, सुरक्षित वातावरण और आनंददायक अधिगम इस योजना के केंद्र में है।”

बाल वाटिकाओं में होंगी ये आधुनिक सुविधाएं

इन बाल वाटिकाओं को बच्चों के लिए आकर्षक और शिक्षाप्रद बनाने के लिए कई नई सुविधाएं जोड़ी गई हैं -

  • बाल मैत्रिक फर्नीचर: बच्चों की ऊँचाई के अनुरूप कुर्सियां और टेबल।
  • आउटडोर खेल सामग्री: शारीरिक विकास और खेल के माध्यम से शिक्षा के लिए सुरक्षित सामग्री।
  • रंग-बिरंगे कक्षा-कक्ष और लर्निंग कॉर्नर: बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार।
  • बाला फीचर: दीवारों पर शैक्षिक चित्र और गतिविधियां, जिससे बच्चे खेल-खेल में सीख सकें।
  • वंडर बॉक्स और अभ्यास पुस्तिकाएं: गतिविधि-आधारित अधिगम के लिए नवीन शिक्षण सामग्री।
  • TLM (Teaching Learning Material): समावेशी और रोचक शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए।

साथ ही, चरणबद्ध तरीके से ECCE (Early Childhood Care and Education) एजुकेटर्स की तैनाती की जा रही है, ताकि हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण प्री-प्राइमरी शिक्षा पहुंच सके।

स्वतंत्रता दिवस पर भव्य आयोजन

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इन बाल वाटिकाओं में भव्य आयोजन की योजना बनाई गई है। स्कूल परिसरों की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई और आकर्षक सजावट के साथ विभिन्न सांस्कृतिक व शैक्षिक गतिविधियां आयोजित होंगी। 
बच्चों के लिए गायन, नृत्य और नाटिका प्रतियोगिताएं। 

चित्रकला व हस्तकला प्रदर्शनी

  • स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समुदाय की भागीदारी
  • विशेष रूप से माताओं और अभिभावकों को आमंत्रण ताकि वे बच्चों की शिक्षा में सीधे जुड़ाव महसूस कर सकें।

“3 से 6 वर्ष आयु बच्चों के विकास का अहम चरण” – कंचन वर्मा

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बताया कि 3 से 6 वर्ष की आयु बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास के लिए सबसे अहम होती है। उन्होंने कहा, “‘स्कूल रेडिनेस’ का यह चरण पूरा होने के बाद बच्चा कक्षा-1 में प्रवेश के समय शिक्षा ग्रहण करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। हमारी प्राथमिकता पोषण, सुरक्षित वातावरण और आनंददायक अधिगम सुनिश्चित करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में प्री-प्राइमरी शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है, और बाल वाटिकाओं की शुरुआत उसी दिशा में बड़ा कदम है।”

कैसे होगा लाभ

  • सीखने की मजबूत नींव: बच्चे अक्षर, रंग, आकृतियों और संख्याओं को खेल-खेल में सीखेंगे।
  • सामाजिक व मानसिक विकास: समूह गतिविधियों से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • कक्षा-1 के लिए तैयारी: बच्चा नई कक्षा के माहौल में सहज होगा और सीखने की गति बढ़ेगी।
  • समावेशी शिक्षा: सभी वर्गों के बच्चों को समान अवसर मिलेंगे।

सामुदायिक सहभागिता होगी मजबूत

इन बाल वाटिकाओं को सफल बनाने के लिए सरकार स्थानीय समुदाय को भी जोड़ रही है। विद्यालय प्रबंधन समितियां, ग्राम प्रधान और अभिभावकों को योजना की निगरानी में शामिल किया जा रहा है, ताकि बाल शिक्षा के स्तर पर सामूहिक जिम्मेदारी तय हो सके। बेसिक शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में सभी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को इस तरह की बाल वाटिकाओं से जोड़ा जाए। इससे ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के बच्चों को समान गुणवत्ता की प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध होगी और वे प्रतिस्पर्धी माहौल में आगे बढ़ सकेंगे।

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