Aakash Anand Political Reboot Bihar Election बसपा प्रमुख मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बिहार से सियासी जिम्मेदारी सौंपकर एक नई राजनीतिक पारी की शुरुआत करवाई है। पटना के कार्यक्रम में उनके तेवर और भाषण शैली से साफ है कि बसपा उन्हें यूपी की राजनीति में फिर से एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित करने की तैयारी में है।
UP BSP Politic: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में दोबारा सक्रिय भूमिका में लौटे आकाश आनंद अब एक बार फिर सुर्खियों में हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर उन्हें जिम्मेदारियों से नवाजते हुए सियासी पिच पर उतारा है। हालांकि इस बार शुरुआत उत्तर प्रदेश से नहीं, बल्कि बिहार से की गई है। पटना में आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में मायावती ने आकाश को जिस तरह से सामने रखा और उन्हें नई जिम्मेदारियां सौंपीं, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी अब एक बार फिर आकाश को भविष्य का चेहरा बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो मायावती इस बार बेहद रणनीतिक अंदाज में अपने भतीजे को पुनः स्थापित करने की कोशिश में हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर बसपा ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी क्रम में मायावती ने आकाश आनंद को सियासी मैदान में उतारकर न केवल कार्यकर्ताओं में नया उत्साह पैदा किया है, बल्कि उन्हें अपने परिपक्व होते राजनीतिक सोच के साथ स्थापित करने की योजना भी बनाई है।
बिहार के कार्यक्रम में मायावती ने मंच से सार्वजनिक रूप से आकाश आनंद को पार्टी की ओर से बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए कहा कि वह बिहार की राजनीति में बसपा के विस्तार के लिए पूरी ताकत झोंकेंगे। उनके साथ राज्यसभा सांसद और नेशनल कोऑर्डिनेटर रामजी गौतम को लगाया गया है, जिससे संगठनात्मक संतुलन भी बना रहे।
हालांकि यह कदम केवल बिहार तक सीमित नहीं है। सूत्रों के अनुसार, मायावती की मंशा है कि आकाश को एक बार फिर उत्तर प्रदेश में भी सक्रिय राजनीति में उतारा जाए। पार्टी ने पंचायत चुनाव 2026 को टारगेट बनाते हुए तैयारियां शुरू की हैं। मायावती चाहती हैं कि बिहार में मिली जिम्मेदारी और वहां के अनुभवों के आधार पर आकाश को यूपी की राजनीति में फिर से उतारा जाए। इस रणनीति के पीछे उद्देश्य है आकाश को जनाधार से जोड़ना और उन्हें एक ऐसे नेता के तौर पर स्थापित करना जो बसपा की परंपरागत छवि के साथ आधुनिक नेतृत्व क्षमता भी दिखा सके।
बिहार में आकाश आनंद को आगे कर मायावती यह भी परखना चाहती हैं कि जनता के बीच उनके प्रति रुझान कैसा है। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं में उनके भाषण, नीतियों और नेतृत्व को लेकर किस तरह की प्रतिक्रिया है। यही कारण है कि वह आकाश को केवल मंचीय नेता के तौर पर नहीं, बल्कि जमीनी नेता के रूप में विकसित करना चाहती हैं।
बिहार की चुनावी पिच आकाश के लिए एक तरह से टेस्ट मैच साबित होगी, जिसमें प्रदर्शन के आधार पर उनका भविष्य तय होगा। अगर वह जातिगत समीकरणों को साधने, भाईचारा और सामाजिक न्याय की बातों को ठीक से जमीन पर उतारने में सफल होते हैं, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि उन्हें अगले साल यूपी में बड़ी भूमिका दी जाएगी।
आकाश आनंद की भाषण शैली में भी इस बार खासा बदलाव देखा जा रहा है। जहां पहले वह युवा और आक्रामक तेवर में दिखाई देते थे, अब वह एक सोच-समझकर बोले जाने वाले नेता के रूप में उभर रहे हैं। उन्होंने बिहार के मंच से जिस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार पर सीधा हमला बोला, उससे साफ है कि वह अब अपने मुद्दों को लेकर गंभीर हैं। उनका फोकस बसपा के मूल एजेंडे – दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग – को एकजुट करने पर है। आकाश आनंद लगातार प्रयास कर रहे हैं कि वह पार्टी सुप्रीमो की उम्मीदों पर खरे उतरें।
पार्टी के भीतर भी आकाश आनंद की दोबारा वापसी पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ नेता और कार्यकर्ता अब भी उन्हें अनुभवहीन मानते हैं। वहीं, मायावती की विशेष कृपा के चलते उन्हें मिली जिम्मेदारियों पर कुछ पुराने नेता असहज हैं। ऐसे में आकाश के सामने यह भी चुनौती है कि वह संगठन में एकता बनाए रखते हुए खुद को सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित करें।
आकाश आनंद की दोबारा सक्रियता केवल बसपा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह संदेश विपक्षी दलों को भी जाएगा कि मायावती अब फिर से पार्टी को खड़ा करने की दिशा में संजीदा हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो यदि आकाश आनंद बिहार की सियासत में सफल होते हैं, तो 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें बड़ी भूमिका दी जा सकती है। वह बसपा के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में भी सामने आ सकते हैं, बशर्ते वह कार्यकर्ताओं का भरोसा जीतने में सफल हों।