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UP Power Consumers: जुलाई से महंगी होगी बिजली, उपभोक्ताओं को देना होगा 1.97% अतिरिक्त शुल्क

Bijli Bill 2025: उत्तर प्रदेश में जुलाई से बिजली उपभोक्ताओं को 1.97% अतिरिक्त शुल्क देना होगा, जो अप्रैल महीने के ईंधन और ऊर्जा खरीद समायोजन अधिभार (FPPCA) के तहत वसूला जाएगा। यह बीते चार महीनों में तीसरी बार है जब उपभोक्ताओं को अपने बिल पर अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jun 30, 2025

जुलाई में बिजली बिलों पर लगेगा अतिरिक्त बोझ फोटो सोर्स :Social Media

जुलाई में बिजली बिलों पर लगेगा अतिरिक्त बोझ फोटो सोर्स :Social Media

UP Electricity Bill: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं पर जुलाई महीने से एक और आर्थिक बोझ बढ़ने जा रहा है। इस बार बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से 1.97 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क वसूलेंगी। यह अधिभार अप्रैल महीने के लिए ईंधन एवं ऊर्जा खरीद समायोजन (एफपीसीए) के अंतर्गत लगाया जा रहा है। अगर कोई उपभोक्ता 1000 रुपये की बिजली खपत करता है, तो उसे जुलाई के बिल में 19.70 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे।

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एफपीसीए के नाम पर हर महीने बढ़ रहा बोझ

यह पहली बार नहीं है जब उपभोक्ताओं को एफपीसीए के नाम पर अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है। पिछले चार महीनों में यह तीसरी बार है जब बिजली कंपनियों ने एफपीसीए अधिभार लगाया है। अप्रैल से यह अतिरिक्त वसूली शुरू हुई थी और उपभोक्ताओं पर लगातार भार डाला जा रहा है। मई के महीने में उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली थी, जब अधिभार 2 प्रतिशत कम किया गया था।\लेकिन जून में फिर से 4.27 प्रतिशत अधिभार लगाकर उपभोक्ताओं को झटका दिया गया। अब जुलाई में एक बार फिर 1.97 प्रतिशत की वसूली की जा रही है।

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कब-कब लगा एफपीसीए अधिभार

महीनाअधिभार (%)
अप्रैललागू की शुरुआत
मई-2.00% (कमी)
जून+4.27%
जुलाई+1.97%

नियमों में बदलाव से बढ़ी उपभोक्ताओं की मुश्किलें

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) द्वारा जनवरी 2025 में बहुवर्षीय वितरण टैरिफ (MYDT) के तीसरे संशोधन में यह व्यवस्था लागू की गई थी कि हर महीने का एफपीसीए तीन महीने बाद उपभोक्ताओं से वसूला जाएगा। इस नीति के तहत, अप्रैल के लिए जुलाई में वसूली की जाएगी। इस निर्णय के कारण अब बिजली कंपनियों को अपने ईंधन और ऊर्जा खरीद की लागत की भरपाई उपभोक्ताओं से करने की छूट मिल गई है, भले ही उस माह में उपभोक्ता ने बिजली का अधिक उपभोग न किया हो।

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क्या है एफपीसीए (FPPCA)

एफपीसीए (Fuel and Power Purchase Cost Adjustment) एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत बिजली कंपनियां अपने उत्पादन या खरीद की लागत में आए उतार-चढ़ाव को उपभोक्ताओं से वसूल सकती हैं। यह एक तरह से अस्थायी अधिभार है जो हर महीने की लागत के अनुसार तय होता है। हालांकि यह व्यवस्था पूरे देश में है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इसे नियमित आधार पर लागू किए जाने से उपभोक्ता परेशान हैं।

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विवादों में घिरी बिजली कंपनियां

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस वसूली को पूरी तरह अनुचित और नियम विरुद्ध करार दिया है। उन्होंने कहा कि "बिजली कंपनियां आयोग से मनमाने तरीके से नियम बनवाकर उपभोक्ताओं से धन वसूल रही हैं। इस तरह की वसूली न केवल अव्यवहारिक है बल्कि आम जनता के साथ धोखा है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिजली कंपनियां अपनी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता नहीं रखतीं और लागत बढ़ने का पूरा भार उपभोक्ताओं पर डाल देती हैं।

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आर्थिक असर: उपभोक्ताओं की जेब पर भारी

यदि कोई औसत घरेलू उपभोक्ता हर महीने 1500 से 2000 रुपये तक का बिल भरता है, तो वह जुलाई में 30 से 40 रुपये अतिरिक्त देगा। यह राशि साल भर में जोड़कर देखें तो सैकड़ों रुपये का अतिरिक्त बोझ बन जाता है। ग्रामीण और शहरी गरीब उपभोक्ताओं के लिए यह व्यवस्था बड़ा वित्तीय झटका साबित हो रही है। पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे नागरिकों को अब बिजली भी महंगी पड़ने लगी है।

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उद्योगों पर असर

केवल घरेलू उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि छोटे और मध्यम उद्योगों पर भी इस अधिभार का असर पड़ रहा है। औद्योगिक उपभोक्ताओं को हर महीने लाखों रुपये के बिजली बिलों पर अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ती है, जिससे उनकी लागत बढ़ रही है और प्रतिस्पर्धा में बने रहना मुश्किल हो रहा है।

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जनहित में कार्रवाई की मांग

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद और कई उपभोक्ता संगठनों ने मांग की है कि एफपीसीए व्यवस्था की पूर्ण समीक्षा की जाए। आयोग नियमों को पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी बनाए। कंपनियों को पहले अपनी कार्यदक्षता और नुकसान में कटौती पर काम करना चाहिए, न कि उपभोक्ताओं से सीधे वसूली करना।

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क्या कर सकते हैं उपभोक्ता

  • बिल की जानकारी रखें: हर महीने के बिल को ध्यान से पढ़ें कि उसमें कोई अधिभार जोड़ा गया है या नहीं।
  • ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें: यदि कोई संदेह है तो उपभोक्ता बिजली विभाग की वेबसाइट या हेल्पलाइन पर शिकायत कर सकते हैं।
  • उपभोक्ता फोरम का रुख करें: अत्यधिक वसूली की स्थिति में विद्युत उपभोक्ता फोरम में केस दायर कर सकते हैं।