UP की योगी सरकार राज्य को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में युवाओं को स्किल्ड बना रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर एग्रीकल्चर तक युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। सरकार का उद्देश्य युवाओं के श्रम की गुणवत्ता और कीमत दोनों को बढ़ाकर रोजगार और निवेश के नए अवसर पैदा करना है।
UP जो देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, अब देश का सबसे बड़ा स्किल्ड हब बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार राज्य के युवाओं को वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रशिक्षित करने में जुटी है। इसका उद्देश्य न केवल युवाओं को रोजगार योग्य बनाना है, बल्कि प्रदेश को मैन्युफैक्चरिंग और स्किलिंग का वैश्विक केंद्र बनाना भी है।
प्रदेश की 20 करोड़ की आबादी में करीब 60 प्रतिशत युवा हैं, जिनमें से 55% की उम्र 25 वर्ष से कम है। यदि इन युवाओं को समय पर प्रशिक्षित किया जाए और उनकी क्षमता का उचित दोहन हो, तो यह जनसंख्या एक अमूल्य संसाधन में बदल सकती है। यही सोच कर राज्य सरकार ने युवाओं को स्किल्ड बनाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति बनाई है।
सरकार युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, डाटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी से लेकर पारंपरिक कृषि कार्यों में दक्ष बना रही है। इसके लिए आईटीआई और पॉलिटेक्निक कॉलेजों को अपग्रेड किया जा रहा है। अब तक टाटा टेक्नोलॉजी के सहयोग से 149 आईटीआई का आधुनिकीकरण हो चुका है, और 60 अन्य की प्रक्रिया जारी है।
अब यह अभियान सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों तक विस्तारित हो चुका है। पहले चरण में 45 पॉलिटेक्निक संस्थानों को चुना गया है, जहां टाटा समूह आधुनिक मशीनें लगाएगा और AI, डेटा साइंस जैसे कोर्स शुरू किए जाएंगे। 'AI प्रज्ञा' के तहत 10 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।
विश्व बैंक की मदद से शुरू की गई 'यूपी एग्रीज योजना' के तहत 10 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें खेती में उत्पादकता और नवाचार पर जोर रहेगा। खास बात यह है कि चयनित 500 किसानों को विदेशों में भी प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। इससे यूपी की कृषि प्रणाली में व्यापक बदलाव की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, किसी भी योजना की सफलता अन्तर्विभागीय समन्वय पर निर्भर करती है। इसी नीति के तहत स्किलिंग कार्यक्रमों में शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, राजस्व और सचिवालय प्रशासन जैसे विभागों को जोड़ा गया है।
आईटीआई और उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के माध्यम से अब तक 25 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इनमें से 10.20 लाख युवाओं को विभिन्न सेक्टर्स में रोजगार भी मिल चुका है। इससे प्रदेश में रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
राज्य सरकार पारंपरिक शिल्प और कारीगरी में दक्ष युवाओं को भी प्रोत्साहित कर रही है। 'विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना' और 'स्वरोजगार संगम' जैसी योजनाओं के माध्यम से कारीगरों को न केवल ट्रेनिंग दी जा रही है, बल्कि आधुनिक उपकरणों की टूलकिट भी प्रदान की जा रही है। अब तक इस योजना से 3.68 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश में 96 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयों हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं। इन इकाइयों को स्किल्ड युवाओं की भारी जरूरत है। स्किलिंग प्रोग्राम्स इनकी मांग पूरी करने में कारगर साबित हो रहे हैं। इसके साथ ही सरकार की निवेशक अनुकूल नीतियों के चलते प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है, जिससे स्किल्ड मैनपावर की मांग और बढ़ेगी।
हाल ही में विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान यूपी की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश देश का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की पूरी क्षमता रखता है। यह सरकार की स्किलिंग नीतियों और निवेश परिवेश में किए गए सुधारों का प्रत्यक्ष प्रमाण है।