Maize Purchase UP government: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पहली बार मक्का की फसल की सरकारी खरीद की शुरुआत की गई है, लेकिन इसका किसानों पर अपेक्षित प्रभाव अब तक नहीं देखा गया है। 15 जून से शुरू हुई मक्का की सरकारी खरीद नीति के तहत अब तक केवल 93 टन मक्का की ही खरीद संभव हो सकी है, वो भी मात्र 17 किसानों से। ये आंकड़े इस महत्वाकांक्षी योजना की प्रारंभिक असफलता की ओर इशारा करते हैं।
सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2225 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, जो बाजार मूल्य से कहीं अधिक है। इसके बावजूद किसान क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे हैं। इसकी कई वजहें हैं, जिनमें मुख्य रूप से नीति का देर से जारी होना, प्रचार-प्रसार की कमी, पंजीकरण प्रक्रिया की तकनीकी दिक्कतें, और किसानों का सरकारी खरीद तंत्र पर भरोसा न होना शामिल है।
खाद्य एवं रसद विभाग के अनुसार प्रदेश के 23 जिलों में कुल 150 क्रय केंद्र स्थापित किए जाने हैं, जिनमें से 120 पहले ही चालू हो चुके हैं। लेकिन शुरुआती आठ दिनों में एक भी किसान अपनी उपज बेचने क्रय केंद्र नहीं पहुंचा। इस मंदी का मुख्य कारण किसानों को योजना की जानकारी न होना है। इतना ही नहीं, अब तक 1377 किसानों ने ही ऑनलाइन पंजीकरण कराया है, जबकि राज्य में मक्का उत्पादकों की संख्या लाखों में है। यह दर्शाता है कि जागरूकता अभियान की कमी इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में बड़ी बाधा बनी हुई है।
मक्का की फसल मई-जून के बीच कटती है और किसान आमतौर पर तुरंत उसे बाजार में बेच देते हैं। ऐसे में जब 15 जून को सरकार की खरीद नीति जारी हुई, तब तक कई किसान अपनी फसल पहले ही बिचौलियों या मंडियों में बेच चुके थे। क्रय नीति की देरी और पहले से तय योजनाओं के अभाव में किसान सरकार के इस कदम को लेकर अनिश्चित नजर आ रहे हैं।
शुरुआती दिनों में विभागीय पोर्टल fcs.up.gov.in पर पंजीकरण में तकनीकी खामियां सामने आईं। किसानों को आधार नंबर, बैंक खाता और भूमि रिकॉर्ड अपडेट करने में कठिनाई हो रही थी। इससे कई किसान पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं कर सके। हालांकि, विभाग का दावा है कि अब पोर्टल सुचारु रूप से कार्य कर रहा है और UP KISAN MITRA एप के माध्यम से पंजीकरण भी किया जा सकता है। टोल फ्री नंबर 18001800150 पर भी सहायता उपलब्ध है।
मक्का खरीद की अनुमति जिन जिलों में दी गई है, उनमें शामिल हैं – अलीगढ़, एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी, बदायूं, बुलंदशहर, इटावा, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, बहराइच, बलिया, अयोध्या, मिर्जापुर, गोंडा, संभल और रामपुर। इन जिलों में कुल 150 केंद्रों में से 120 केंद्रों पर क्रय प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
कई किसानों का कहना है कि सरकारी क्रय केंद्रों तक पहुंचने में समय और पैसे दोनों खर्च होते हैं, और प्रक्रिया जटिल भी है। इसके विपरीत, मंडियों में थोड़ा कम दाम मिलने के बावजूद भुगतान तुरंत होता है और प्रक्रिया सरल होती है। किसानों को लगता है कि सरकारी क्रय व्यवस्था में विलंब और कागजी कार्रवाई अधिक है।
खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारी अब भी आशान्वित हैं। उनका कहना है कि जैसे-जैसे पंजीकरण संख्या बढ़ेगी और प्रचार तेज होगा, खरीद भी बढ़ेगी। विभाग ने जिलों को निर्देश दिए हैं कि प्रचार-प्रसार, पंचायत स्तर पर जागरूकता और किसानों के बीच संवाद बढ़ाया जाए।
कृषि विशेषज्ञों की राय है कि यदि सरकार इस योजना को सफल बनाना चाहती है तो उसे किसानों को सीधी लाभान्वित, पारदर्शी और आसान प्रक्रिया, समयबद्ध भुगतान जैसे वादों पर खरा उतरना होगा। साथ ही, योजना की घोषणा फसल की कटाई से पहले करनी चाहिए, ताकि किसान तैयारी कर सकें।
Published on:
24 Jun 2025 03:46 pm