Tigers in MP: मध्य प्रदेश की वाइल्डलाइफ से बुरी खबर है, यहां एक ही दिन में तीन बाघों की मौत हो गई, मौत का कारण टेरिटरी के लिए लड़ाई को माना जा रहा है, जानें क्या कहते हैं वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स....
Tigers in MP: कान्हा नेशनल पार्क के लिए दशहरा का दिन काफी दु:खद रहा। दो अक्टूबर को दो घटनाओं में तीन बाघों की मौत हो गई। कारण आपसी संघर्ष बताया जा रहा है। इसी के साथ इस साल कान्हा में आपसी संघर्ष से जान गंवाने वाले बाघों की संख्या 7 हो गई है। कुल नौ की मौत इस साल हुई है। बीते चार वर्ष में 20 बाघों ने दम तोड़ा है। विशेषज्ञों की मानें तो बाघों की बढ़ती संख्या के लिहाज से जंगल छोटे पड़ रहे हैं। अपनी टेरेटरी बनाने और बचाने बाघ संषर्ष करते हैं। इसी में जान चली जाती है। कान्हा में लगभग 145 बाघ हैं।
क्षेत्र संचालक रवीन्द्र मणि त्रिपाठी ने बताया, दोनों प्राकृतिक घटना प्रतीत हो रही हैं। वन्यप्राणी अभिरक्षक चंद्रेश खरे के अनुसार जंगल बढ़ाने के साथ टाइगर रिजर्व की संख्या बढ़ानी होगी। रिजर्व एरिया में बाहरी दबाव को बढ़ने से रोकना होगा। ईको सेंसिटिव जोन के मापदंडों का कड़ाई से पालन करना जरूरी है।
वन परिक्षेत्र कान्हा (Kanha National park) के मुंडीदादर बीट के कक्ष 119 में गश्ती दल को दो शावकों के शव दिखे। पास ही एक नर बाघ और कुछ दूरी पर बाघिन देखी गई। अनुमान के अनुसार शावकों की मौत बाघ के हमले से हुई। सभी अंग सुरक्षित पाए गए। दूसरी घटना में नर बाघ की मौत हुई। मुक्की परिक्षेत्र के मवाला बीट के कक्ष 164 में दल ने देखा कि एक नर बाघ पर दूसरे बाघ ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
3 अक्टूबर को नर बाघ का पोस्टमार्टम डॉ. संदीप अग्रवाल, डॉ. आशीष वैध ने क्षेत्र संचालक, फील्ड बायोलॉजिस्ट अजिंक्य देशमुख, तहसीलदार बैहर, सरपंच बम्हनी, एनटीसीए प्रतिनिधि की मौजूदगी में किया।
एक नर बाघ न्यूनतम 50 और अधिकतम 100 वर्ग किमी तक टेरिटरी बना सकता है। एक मादा बाघ न्यूनतम 15 वर्ग किमी और अधिकतम 20 किलोमीटर दायरे में टेरेटरी बनाने की क्षमता रखती है।