ठाकुर बांके बिहारी के मंदिर में धनतेरस के पावन अवसर पर एक सदी पुराना रहस्य खुल गया। 160 वर्षीय तहखाने का ताला 54 साल बाद टूटा, लेकिन अंदर की चमक ने भक्तों को निराश कर दिया। खाली कलश, जंग लगे बक्से और पुरानी यादें, सोने-चांदी की उम्मीदें धरी रह गईं।
वृंदावन : ठाकुर बांके बिहारी के मंदिर में धनतेरस के पावन अवसर पर एक सदी पुराना रहस्य खुल गया। 160 वर्षीय तहखाने का ताला 54 साल बाद टूटा, लेकिन अंदर की चमक ने भक्तों को निराश कर दिया। खाली कलश, जंग लगे बक्से और पुरानी यादें, सोने-चांदी की उम्मीदें धरी रह गईं। कमरे में धूल की वजह से पुजारी का दम घुटने लगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई इस खुदाई में वन विभाग ने दो सांपों के बच्चों को सुरक्षित पकड़ा।
मंदिर के गर्भगृह के पास बने इस तहखाने का आखिरी दौरा 1971 में हुआ था। तब बहुमूल्य आभूषण बैंक लॉकर में ले जाए गए थे। हाई पावर कमेटी ने 29 सितंबर को फैसला लिया और डीएम चंद्र प्रकाश सिंह ने 17 अक्टूबर को आदेश जारी किया। सुबह आरती के बाद शुरू हुई प्रक्रिया में गोस्वामी परिवार के सदस्यों ने दीप जलाकर मंगल कामना की। जंग लगे ताले ग्राइंडर से कटे, लेकिन अंदर धूल-मिट्टी का ढेर और हवा की कमी ने सबको मास्क लगाने पर मजबूर कर दिया।
कमेटी में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन-सदर और चार गोस्वामी शामिल थे। पूरी कार्रवाई वीडियोग्राफी में रिकॉर्ड हुई। सफाई अभी जारी है क्या और कोई चमत्कार बाकी है?
कुछ गोस्वामियों ने खजाना खोलने पर आपत्ति जताई। उनका कहना, 'ये ठाकुर जी की पवित्र विरासत है, मर्यादा भंग हो रही।' लेकिन भक्तों में जोश का सैलाब उमड़ा। मंदिर के बाहर 'राधे-राधे' की धुन गूंजी। कमेटी ने दर्शन समय बदलने, वीआईपी पास बंद करने जैसे फैसले भी लिए।