मथुरा

शाही शादी कर बुरे फंसे इंद्रेश उपाध्याय! सामने आई ये बड़ी वजह…सोशल मीडिया पर हो रहे ट्रोल

Indresh Upadhyay Controversy: “गुरु जी ये कैसी सादगी है? आप लोग सिर्फ दूसरों को ज्ञान देकर करोड़ों रुपए लूटते हैं। लोगों से कहते रहते हैं, ये सब मोह माया है और खुद इसी में जकड़े हुए हैं।” यूजर्स का कमेंट… पढ़िए पूरी खबर

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Dec 09, 2025
शाही शादी कर बुरे फंसे इंद्रेश जी महाराज। हाई प्रोफाइल शादी पर उठ रहे सवाल। (इमेज सोर्स: पत्रिका डॉट कॉम)

Indresh Upadhyay Marriage Controversy: वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय ने हाल ही में शादी रचाई। ये शादी किसी राजशाही समारोह से कम नहीं थी। भव्य सजावट, वीआईपी मेहमानों की भीड़ और एक चमक-दमक भरा माहौल। उनकी इस हाई-प्रोफाइल शादी की तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर आग लगा दी, लेकिन इसके साथ ही शुरू हो गया विवादों का नया दौर। दरअसल, उनकी शादी की भव्यता और खर्च देखकर सोशल मीडिया यूजर्स को उनके पुराने प्रवचन याद आ गए। लोग पूछ रहे हैं कि क्या सादगी का पाठ पढ़ाने वाले गुरु को इतनी शाही शादी शोभा देती है? ट्रोलर्स का कहना है कि इंद्रेश उपाध्याय के उपदेश और उनका निजी जीवन अब एक दूसरे के विपरीत खड़े नजर आ रहे हैं।

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हाई प्रोफाइल शादी पर उठ रहे सवाल

विवाद की असली जड़ है उनका एक पुराना वीडियो, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वो कथित तौर पर साधारण जीवन जीने, अनावश्यक खर्चों से बचने या भौतिकवाद से दूर रहने के बारे में उपदेश दे रहे थे। यूजर्स अब उन्हीं के प्रवचनों को उनकी 'शाही शादी' से जोड़कर सवाल उठा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर हो रहे ट्रोल

एक यूजर ने लिखा है कि खुद के लिए एक नियम और दूसरों के लिए दूसरा? गुरु जी ये कैसी सादगी है..? वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि ये लोग सिर्फ दूसरों को ज्ञान देकर करोड़ों रुपए लूटते हैं। दूसरे यूजर ने लिखा कि ये लोग सबसे ज्यादा मोह माया छोड़ने त्याग, बलिदान करने की बात करते हैं लेकिन खुद सबसे ज्यादा मोह माया में रहते हैं। त्याग, बलिदान इनसे नहीं होता। जिसे मलाई खाने की आदत हो, वो सूखी रोटी चबा नहीं सकता।

हालांकि कुछ यूजर्स इंद्रेश उपाध्याय का बचाव भी कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि इंद्रेश उपाध्याय वीडियो में रिवाज की बात कर रहे हैं निषेध की नहीं। एक अन्य यूजर ने पूछा कि इंद्रेश उपाध्याय ये कब कह रहे हैं कि जयमाला निषेध है। वो सिर्फ ये कह रहे हैं कि विवाह के धार्मिक कर्मकांड में जयमाला आवश्यक अंग नहीं है। जयमाला एक परंपरा है। हिन्दू विवाह में इसे जो चाहे स्वीकारे और जो चाहे ना स्वीकारे। इसमें विवाद कैसा।

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

फिलहाल, इंद्रेश उपाध्याय या उनके आश्रम की तरफ से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन सोशल मीडिया पर ये बहस तेज है। क्या आध्यात्मिक गुरुओं को भी अपने निजी जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग करना चाहिए, या उनकी शिक्षाएं केवल उपदेश तक सीमित हैं? यह सवाल फिलहाल सोशल मीडिया पर सबसे बड़ा प्रश्न बनकर खड़ा है। अब इंद्रेश उपाध्याय की शादी में क्या सही है और क्या गलत। अपनी राय वीडियो पर कमेंट कर बताएं।

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