मुरादाबाद

क्या यही है नया भारत? महिला सांसद से निकाह की शर्त पर शर्मनाक बयान, करणी सेना नेता का बयान नारी गरिमा पर हमला

Karni Sena Iqra Hasan Marriage Controversy: करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेंद्र राणा ने सपा सांसद इकरा हसन को लेकर अभद्र टिप्पणी करते हुए निकाह का प्रस्ताव दिया और शर्त रखी कि ओवैसी उन्हें ‘जीजा’ कहें। इस शर्मनाक बयान पर सियासी बवाल मच गया है और देश में महिलाओं की गरिमा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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महिला सांसद से निकाह की शर्त पर शर्मनाक बयान | Image Source - Social Media

Karni sena leader controversial statement on mp iqra hasan: भारत की लोकतांत्रिक गरिमा और संसद की प्रतिष्ठा उस वक्त तार-तार हो गई, जब करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेंद्र राणा ने समाजवादी पार्टी की महिला सांसद इकरा हसन को लेकर बेहद आपत्तिजनक और अश्लील टिप्पणी की। उन्होंने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा - "मैं कैराना सांसद इकरा हसन से निकाह कबूल फरमाता हूं, वह भी कबूल करें।" इतना ही नहीं, उन्होंने यह बेहूदी शर्त भी रख दी कि "अगर निकाह होता है, तो एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मुझे ‘जीजा’ कहें।"

यह बयान न सिर्फ एक महिला सांसद की गरिमा पर हमला है, बल्कि यह देश की संसद, महिला सशक्तिकरण और संविधान की आत्मा का सीधा अपमान है।

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राजनीति या बदजुबानी का नया युग?

योगेंद्र राणा का यह बयान कोई साधारण राजनीतिक बयान नहीं है। यह उस सोच का प्रतिबिंब है जो आजादी के 75 साल बाद भी महिलाओं को केवल वस्तु समझती है। एक महिला, जो जनता द्वारा चुनी गई सांसद है, उसे इस तरह सरेआम बदनाम करना क्या लोकतंत्र की परंपराओं का मजाक नहीं है?

एसटी हसन बोले - ये संसद की बेइज्जती है

सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "यह सीधे-सीधे संसद की बेइज्जती है। किसी महिला सांसद पर इस तरह की ओछी टिप्पणी करना न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि यह दर्शाता है कि महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी कुछ लोगों को आज भी हजम नहीं हो रही।"

सरकार क्यों चुप है?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्र सरकार, महिला आयोग और भाजपा नेतृत्व इस पर चुप क्यों हैं? क्या ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ सिर्फ एक चुनावी नारा था? क्या महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पर बोलना केवल विपक्ष का काम रह गया है?

आज अगर एक महिला सांसद को इस तरह निशाना बनाया जा सकता है, तो कल किसी और महिला के साथ यही होगा। यह राजनीति का अपराधीकरण नहीं तो और क्या है?

महिलाओं के सम्मान पर कब तक सियासत?

जब भी कोई महिला आगे बढ़ती है, खासकर राजनीति में, तो उसे अक्सर ऐसी ही गंदी मानसिकता का शिकार होना पड़ता है। इकरा हसन को लेकर दी गई टिप्पणी न सिर्फ उनके निजी सम्मान पर हमला है, बल्कि यह हर उस महिला पर हमला है जो आज के भारत में अपने हक के लिए खड़ी होती है।

यह सवाल देश से है: क्या हम ऐसे भारत की कल्पना करते हैं?

आज जरूरी है कि देश जागे। यह सिर्फ इकरा हसन का मामला नहीं है, यह हर उस महिला का मामला है जो सार्वजनिक जीवन में भागीदारी चाहती है। अगर समाज इस मानसिकता के खिलाफ एकजुट नहीं हुआ, तो आने वाली पीढ़ियों की आवाज भी इसी तरह दबा दी जाएगी।

इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीति में नारी गरिमा और नैतिकता खतरे में है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे नेताओं पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि संसद की मर्यादा और महिलाओं की गरिमा दोनों की रक्षा हो सके।

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