नागौर

Raksha Bandhan 2025: दिल को छू लेने वाली मिसाल… राजस्थान में यहां 35 साल से मुस्लिम भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध रही हिंदू बहन

देश में धर्म और संप्रदाय को लेकर चर्चाएं गरम होने लगी है, वहीं एक हिंदू बहन और मुस्लिम भाई के स्नेह का रिश्ता दिल को छू लेने वाली मिसाल है।

2 min read
Aug 10, 2025
भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हिंदू बहन। फोटो: पत्रिका 

नागौर। देश में धर्म और संप्रदाय को लेकर चर्चाएं गरम होने लगी है, वहीं एक हिंदू बहन और मुस्लिम भाई के स्नेह का रिश्ता दिल को छू लेने वाली मिसाल है। पिछले 35 वर्षों से खजवाना कस्बे की कमला देवी प्रजापत हर रक्षाबंधन पर अपने मुस्लिम धर्मभाई सदीक गौरी की कलाई पर राखी बांध रही हैं। यह रिश्ता खून का तो नहीं है, लेकिन मानवीय दृष्टिकोण से इससे कहीं ज्यादा गहरा है।

कमला देवी के सगे भाई नहीं हैं, लेकिन सदीक भाई ने हर मायने में भाई होने का फर्ज निभाया है। बीमारी हो या जरूरत की घड़ी, सामाजिक कार्यक्रम हो या भावनात्मक सहारा सदीक हर मौके पर अपनी धर्मबहन के साथ खड़े रहे। 2009 में भाणजियों की शादी में सदीक ने बहन के मायरा भरा।

ये भी पढ़ें

Raksha Bandhan 2025: राजस्थान का यह परिवार अमेरिका में कैसे मनाता है रक्षाबंधन का त्योहार, जानिए

मजहब से ऊपर उठकर इंसानियत की मिसाल

इस भाई-बहन के रिश्ते ने न केवल सामाजिक भेदभाव को दरकिनार किया है, बल्कि धर्मनिरपेक्षता और आपसी सौहार्द की सजीव मिसाल भी पेश की है। यह रिश्ता एकता और प्रेम का प्रतीक है।

धर्म इंसानियत को जोड़ने के लिए

65 वर्षीय सदीक गौरी का कहना है कि धर्म इंसान को जोड़ने के लिए है, तोड़ने के लिए नहीं। कमला बहन ने जब मुझे राखी बांधी, उस दिन से मैंने उन्हें सगी बहन से कम नहीं माना। ये रिश्ता मेरे लिए गर्व की बात है।

55 वर्षीय कमला देवी बताती हैं, जब पहली बार राखी बांधी थी, तब सदीक ने वादा किया था कि हर साल मैं राखी बांधूंगी और वो हमेशा मेरी रक्षा करेंगे। उस दिन से आज तक कभी ये रिश्ता कमजोर नहीं पड़ा।

1990 में पहली बार बांधी राखी

1990 में एक छोटे से भावनात्मक क्षण में कमला ने सदीक को अपना धर्मभाई बनाया और तब से रक्षासूत्र बांधने का यह सिलसिला कभी नहीं टूटा। सदीक ने भी उस वक़्त वादा किया था कि वे जीवन भर बहन की रक्षा करेंगे, तब से आज तक ने इस फर्ज को निभा रहे हैं।

ये भी पढ़ें

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन के दिन पर्व नहीं मनाता यह समाज, बरसों पुरानी परंपरा का कर रहे निर्वहन

Also Read
View All

अगली खबर