Bihar Elections: चुनाव आयोग ने शनिवार बिहार की राजधानी पटना में 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की है। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की है।
Bihar Assembly Elections: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने पूरी तैयारी कर ली है। इसी कड़ी में चुनाव आयोग ने शनिवार बिहार की राजधानी पटना में 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की है। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की। उन्होंने आश्वासन दिया कि चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप देने से पहले पार्टियों द्वारा दिए गए सभी सुझावों पर विचार किया जाएगा। सत्तारूढ़ जेडीयू ने विधानसभा चुनाव एक ही चरण में कराने की माँग की।
मीटिंग खत्म होने के बाद मीडिया से बात करते हुए जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि विधानसभा चुनाव एक ही चरण में कराने की मांग की। पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए झा ने कहा कि हमने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के सफल संचालन के लिए आयोग का आभार व्यक्त किया है। इसके साथ ही आयोग से अनुरोध किया गया है कि बिहार चुनाव एक चरण में कराए जाएं।
संजय झा ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में कानून-व्यवस्था और नक्सलवाद कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर वहां एक चरण में चुनाव हो सकते हैं, तो बिहार में क्यों नहीं? इसके साथ ही सभी मतदान केंद्रों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जानी चाहिए ताकि गरीबों को वोटिंग के दौरान किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो। राज्यसभा सदस्य संजय झा ने सुझाव दिया कि छठ पर्व को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीखें तय की जानी चाहिए। त्योहार के लिए घर लौटने वाले लोग भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें।
वहीं, बैठक में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले आरजेडी के औरंगाबाद सांसद अभय कुशवाहा और पार्टी के चुनाव संयोजक चितरंजन गगन ने दो चरण में मतदान कराने की माँग की। कुशवाहा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने मुख्य चुनाव आयुक्त से एसआईआर प्रक्रिया के दौरान हटाए गए 3.64 लाख मतदाताओं का डेटा जारी करने की मांग की है। हमने दलित, महादलित, अति पिछड़ी और पिछड़ी जातियों के गाँवों में पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था की भी माँग की है, ताकि ये समुदाय स्वतंत्र रूप से मतदान कर सकें। अतीत में, उन्हें अक्सर मतदान करने से रोका जाता था।