AI हर सवाल का जवाब देने में खुद को सक्षम साबित कर रहा है। हालांकि, इससे बच्चों की सीखने की क्षमता का संकट गहराता जा रहा है। महानगरों में 44% बच्चे एआई की मदद से होमवर्क कर रहे हैं। वहीं बड़े शहरों के 86% छात्र एआई की मदद से पढ़ाई कर रहे हैं।
AI Tools: भारत में डिजिटल क्रांति के दौर में बच्चे एआई टूल्स से सवाल पूछने में शिक्षकों से आगे निकल गए हैं। हालिया डिमांडसेज रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में 86% छात्र एआई का इस्तेमाल पढ़ाई के लिए कर रहे हैं, जबकि केवल 60% शिक्षक ही इसे दैनिक क्लास में अपनाते हैं।
यह ट्रेंड छोटे बच्चों में ज्यादा दिख रहा है, जहां एआई से तुरंत जवाब मिलने से गहन समझ की बजाय सतही ज्ञान बढ़ रहा है। इससे बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग लगातार कम हो रही है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इससे अवधारणाओं की नींव कमजोर हो रही है। शहरी क्षेत्रों में यह समस्या चरम पर है।
एआईपीआरएम सर्वे (AIPRM Survey) से पता चला कि 68% शहरी शिक्षकों को एआई ट्रेनिंग नहीं मिली, फिर भी मुंबई, दिल्ली और बैंगलोर जैसे महानगरों के 44% बच्चे जेनरेटिव एआई से होमवर्क हल कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 17% है, लेकिन वहां इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है। नतीजा, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों में जटिल सवाल शिक्षकों से कम पूछे जा रहे।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि एआई की झटपट सहायता से बच्चों की समस्या-समाधान क्षमता 16.5% तक घटी है। हार्वर्ड जीएसई अध्ययन बताता है कि एआई इंटरैक्शन से शब्दावली तो बढ़ती है, लेकिन क्रिटिकल थिंकिंग कमजोर पड़ रही है। एआई से डिपेंडेंसी 'कॉग्निटिव ऑफलोडिंग' पैदा कर रही, जो लंबे समय में आईक्यू को प्रभावित करेगी।
इस निर्भरता से कैरियर प्रभावित हो रहा। 2030 तक 70% जॉब स्किल्स बदलेंगी, लेकिन एआई पर भरोसा करने वाले बच्चे क्रिएटिविटी और इनोवेशन में पीछे रहेंगे। माइक्रोसॉफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक, 72% शिक्षक चिंतित हैं कि इससे प्लेजरिज्म बढ़ेगा, जो नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धा कमजोर करेगा।
मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और बैंगलोर में 44% बच्चे एआई पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। एआईपीआरएम डेटा के अनुसार, इन शहरों के 21% उपनगरीय स्कूलों में एआई उपयोग रिकॉर्ड है। तिरुचिरापल्ली जैसे दक्षिणी शहरों में भी 38% वृद्धि देखी गई। इसके चलते अंग्रेजी व्याकरण और विज्ञान प्रयोगों पर सवाल 30% कम हो गए।
स्टैनफोर्ड रिसर्च दिखाती है कि एआई से टेस्ट स्कोर 15% बढ़ते हैं, लेकिन अवधारणाओं की समझ 16.5% गिरी। एमआईटी अध्ययन में ब्रेन एक्टिविटी मापी गई, जो बताती है कि एआई रिलायंस से मेमोरी रिटेंशन 20% कम हो रही। इससे आईक्यू पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा, क्योंकि क्रिटिकल थिंकिंग विकसित नहीं हो पा रही।
विशेषज्ञों के अनुसार, एआई निर्भरता से 2030 तक 47% युवाओं को अपस्किलिंग की जरूरत पड़ेगी। माइक्रोसॉफ्ट 2025 रिपोर्ट में कहा गया कि 72% शिक्षक प्लेजरिज्म से चिंतित हैं, जो करियर में क्रेडिबिलिटी घटाएगा। इससे इनोवेटिव जॉब्स में 18% कम अवसर मिलेंगे, क्योंकि मूल स्किल्स की कमी से प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी।