Mallikarjun Kharge Letter to PM: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखते हुए जातिगत जनगणना पर 3 सुझाव दिए।
कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने जातिगत जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने जातिगत जनगणना (Caste Census) को प्रभावी और पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिए सरकार को तीन महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। साथ ही, उन्होंने इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के साथ तत्काल संवाद की मांग की है। खरगे ने अपने पत्र में कहा कि जातिगत जनगणना सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, और इसे विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना का हवाला देते हुए कहा कि यह कदम सामाजिक समानता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
प्रश्नावली का डिजाइन और तेलंगाना मॉडल का उपयोग: खरगे ने सुझाव दिया कि जनगणना की प्रश्नावली को केवल गिनती तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि यह व्यापक सामाजिक-आर्थिक आंकड़े जुटाने में सक्षम होनी चाहिए। इसके लिए तेलंगाना में हाल ही में किए गए जातिगत सर्वेक्षण को मॉडल के रूप में अपनाया जा सकता है।
पारदर्शिता और आंकड़ों का प्रकाशन: जनगणना के अंत में सभी जातियों के सामाजिक-आर्थिक आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं, ताकि प्रत्येक जाति की प्रगति को मापा जा सके और उन्हें संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।
आरक्षण सीमा हटाने के लिए संवैधानिक संशोधन: खरगे ने मांग की कि ओबीसी, एससी, और एसटी के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को हटाने के लिए संविधान संशोधन किया जाए। साथ ही, राज्यों द्वारा पारित आरक्षण कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को कैबिनेट बैठक में आगामी जनगणना में जातिगत जनगणना को शामिल करने का फैसला किया था। इस घोषणा के बाद से इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि उन्होंने लंबे समय से इसकी मांग की थी। खरगे ने अपने पत्र में यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि सरकार इस प्रक्रिया को जल्द शुरू करे और इसके लिए बजट प्रावधान करे। उन्होंने जोर दिया कि यह कदम सामाजिक न्याय की नींव को मजबूत करेगा।
जातिगत जनगणना के फैसले के बाद विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, और सत्तारूढ़ बीजेपी के बीच श्रेय लेने की होड़ मची है। बीजेपी का दावा है कि यह निर्णय सामाजिक समावेश और विकास के लिए लिया गया है, जबकि कांग्रेस इसे राहुल गांधी और विपक्ष के दबाव का नतीजा बता रही है। खरगे ने अपने पत्र में पीएम से आग्रह किया कि वह सभी दलों के साथ इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा करें ताकि एक समग्र और पारदर्शी नीति बनाई जा सके।