Donald Trump Avenue Hyderabad: हैदराबाद में अमेरिकी कॉन्सुलेट के पास वाली मुख्य सड़क का नाम “डोनाल्ड ट्रंप एवेन्यू” रखा जाएगा।
Donald Trump Avenue Hyderabad: अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही भारत पर ज्यादा टैरिफ लगाया हो या अवैध प्रवासी भारतीयों को हथकड़ियां और बेड़ियां लगा कर भारत भेजा हो, उसके बावजूद भारतीय उनके प्रति दुर्भावना नहीं रखते। हैदराबाद तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने शहर में अमेरिकी कॉन्सुलेट के ठीक बगल वाली मुख्य सड़क का नाम अब “डोनाल्ड ट्रंप एवेन्यू” (Donald Trump Avenue Hyderabad) रखने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy Trump Road) ने खुद इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि यह दुनिया का पहला ऐसा मौका होगा जब किसी दूसरे देश में मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति के नाम पर सड़क का नाम (Hyderabad Road Naming) रखा जा रहा हो।
जानकारी के अनुसार यह कदम जनवरी 2026 में होने वाले “तेलंगाना राइजिंग ग्लोबल इनवेस्टर समिट” से पहले लिया गया है। सरकार का मानना है कि ट्रंप का नाम देखते ही वैश्विक निवेशकों का ध्यान तुरंत हैदराबाद की ओर खिंच जाएगा। इसके साथ ही शहर में कई और बड़ी कंपनियों के नाम पर भी सड़कों और चौराहों के नाम रखे जा रहे हैं – जैसे “गूगल स्ट्रीट”, “माइक्रोसॉफ्ट रोड” और “विप्रो जंक्शन”।
तेलंगाना सरकार ने नेहरू आउटर रिंग रोड से प्रस्तावित फ्यूचर सिटी को जोड़ने वाली नई 100 मीटर लंबी ग्रीनफील्ड रेडियल रोड का नाम “रतन टाटा रोड” रखने का फैसला किया है। ध्यान रहे कि रविरयाला इंटरचेंज को पहले ही “टाटा इंटरचेंज” नाम दिया जा चुका है।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा, “सड़कों के नाम दुनिया के दिग्गज लोगों और कंपनियों के नाम पर रखने से दो फायदे होंगे – एक तो उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी, दूसरा हैदराबाद का ब्रांड दुनिया में और चमकेगा।”
तेलंगाना भाजपा के कद्दावर नेता बंदी संजय कुमार ने इस फैसले पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “अगर नाम बदलने का इतना ही शौक है तो पहले हैदराबाद का नाम ‘भाग्यनगर’ करो, रेवंत रेड्डी बस ट्रेंडिंग चीजों के पीछे भाग रहे हैं। असली मुद्दों पर सड़कों पर उतरकर जनता की लड़ाई लड़ने वाली पार्टी सिर्फ भाजपा है।”
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक है। वह वैश्विक छवि बनाने के साथ-साथ निवेश भी लाना चाहती है, जबकि भाजपा इसे “नाम बदलो – काम छोड़ो” की राजनीति बता रही है।
सोशल मीडिया पर लोग दो धड़ों में बंट गए हैं। एक पक्ष इसे हैदराबाद की ग्लोबल ब्रांडिंग का शानदार प्लान बता रहा है, तो दूसरा पक्ष पूछ रहा है – पहले पानी, बिजली, ट्रैफिक और बेरोजगारी जैसे बेसिक मुद्दे तो ठीक करो! इधर अमेरिकी दूतावास की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) की स्थायी समिति में रखा जाएगा। मंजूरी मिलते ही जनवरी 2026 के समिट से पहले नई नेम प्लेट्स लग जाएंगी।
बहरहाल, हैदराबाद अब बेंगलुरु को कड़ी टक्कर दे रहा है। यहां जब ट्रंप, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट व टाटा जैसे नामों वाली सड़कें बनेंगी तो निवेशक खुद-ब-खुद खिंचे चले आएंगे। ऐसे में सवाल वही है-सिर्फ नाम बदलने से क्या शहर की तकदीर बदल जाएगी?