Defense Secretary with PM Modi: भारत और पाकिस्तान के तनाव के बीच रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Attack) के बाद भारत और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच तनाव चरम पर है। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने इस हमले के जवाब में कड़ी कार्रवाई की तैयारी के लिए डिफेंस सेक्रेटरी (Defense Secretary) के साथ एक विशेष बैठक की है। यह बैठक भारत की रणनीतिक और सैन्य तैयारियों को मजबूत करने के लिए बुलाई गई थी।
पहलगाम हमले, जिसमें 28 लोग मारे गए थे, ने भारत को पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। इस बैठक में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) भी शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी ने सशस्त्र बलों को जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी छूट दी है, जिसमें समय, तरीका और लक्ष्य का चयन सेना के विवेक पर छोड़ा गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस मामले में कड़ा बयान देते हुए कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, जो देश चाहता है, वह निश्चित रूप से होगा।" उन्होंने पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा (LoC) पर हाल की सीजफायर उल्लंघन की घटनाओं की निंदा की और कहा कि भारत इसका मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इस तनाव के बीच कई सख्त कदम उठाए हैं, जिनमें पाकिस्तान के साथ डाक सेवाओं और आयात पर रोक शामिल है। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना ने गंगा एक्सप्रेसवे पर युद्धाभ्यास किया, जो पाकिस्तान को एक साफ संदेश देता है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भी अपनी सैन्य गतिविधियां तेज कर दी हैं। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत को चेतावनी दी है कि यदि भारत ने सिंधु जल समझौते को प्रभावित करने की कोशिश की, तो इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा। इसके अलावा, पाकिस्तान ने PoK में आपातकाल की घोषणा की है और अपनी वायुसेना का युद्धाभ्यास शुरू किया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस तनाव पर नजर रखे हुए है। अमेरिका ने भारत का समर्थन करते हुए कहा है कि वह स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है, जबकि कई देश दोनों पक्षों से शांति की अपील कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को प्रभावित कर रही है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता पर भी गहरा असर डाल सकती है। आने वाले दिनों में भारत की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं, यह वैश्विक मंच पर भी चर्चा का विषय रहेगा।