नई दिल्ली

GST रिफंड पर दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, जज बोले-कारोबार पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव

Delhi High Court: कारोबारियों के जीएसटी रिफंड पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश जारी किया है। इससे कारोबारियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

2 min read
जीएसटी रिफंड पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई

Delhi High Court: जीएसटी रिफंड से जुड़े मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सॉफ्टवेयर कंपनी की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान हाईकोर्ट ने जीएसटी विभाग को आदेश दिया कि जीएसटी रिफंड का निपटारा तय समय सीमा में ही किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो कारोबार पर इसका प्रभाव पड़ता है। दरअसल, एक सॉफ्टवेयर कंपनी ने जीएसटी रिफंड में देरी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। गुरुवार को इस याचिका पर न्यायाधीश प्रतिभा एम. सिंह और शैल जैन की खंडपीठ ने सुनवाई की।

ये भी पढ़ें

आपको लगता है कि आप देश के कानून से ऊपर हैं? लड़कियों पर अश्लील टिप्पणी में असम के प्रोफेसर पर भड़की सुप्रीम कोर्ट

पहले समझिए क्या है पूरा मामला?

इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर कुणाल और आदित्य राठौर ने अदालत को बताया कि Gameloft Software Private Limited कंपनी ने अप्रैल 2019 से जून 2020 के बीच एक करोड़ 87 लाख 84 हजार 18 रुपये बतौर इंटीग्रेटेड जीएसटी चुकाया। इसके बाद कंपनी ने अप्रैल 2022 में जीएसटी रिफंड के लिए आवेदन किया। इसपर विभाग ने 6-7 जुलाई 2022 को आवेदन में कमियां बताकर उसे स्वीकार करने से मना कर दिया। फिर कंपनी ने आवेदन में सुधार के बाद 30-31 मार्च 2023 को फिर से सब्मिट किया, लेकिन विभाग ने निर्धारित समय सीमा में कोई कोई त्रुटि (Deficiency Memo) नहीं बताई।

क्या है जीएसटी रिफंड का नियम?

लाइव लॉ के अनुसार, याचिकाकर्ता ने अदालत में CGST नियम 90 (2) की व्याख्या करते हुए कहा कि यदि आवेदन में कोई कमी है तो 15 दिनों में डिफिशियंसी मेमो जारी करना जरूरी है। साथ ही CGST Act के Section 54 के तहत रिफंड मामलों को 60 दिनों के अंदर निपटाना जरूरी है। इस दौरान कंपनी ने एक अन्य केस का हवाला दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि तय की गई टाइम लिमिट में डिफिशियंसी मेमो जारी नहीं किया जाता तो देरी के लिए टैक्सपेयर को ब्याज देने से विभाग मना नहीं कर सकता। CGST Act के Section 56 में रिफंड में देरी पर ब्याज देने का प्रावधान है।

रिप्रेजेंटेशन्स के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने रिफंड के निपटान के लिए विभाग को कई बार रिप्रेजेंटेशन्स (अभ्यावेदन) दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पर अदालत ने कहा कि जीएसटी विभाग को रिफंड आवेदन पर एक महीने के अंदर निर्णय लेने चाहिए। साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने जीएसटी विभाग को आदेश देते हुए कहा कि रजिस्टर्ड लोग और संस्थाओं के रिफंड आवेदनों का निपटारा तय समय सीमा में ही किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि रिफंड में देरी होने से टैक्सपेयर्स के बिजनेस पर असर पड़ता है। इस दौरान अदालत में जीएसटी विभाग की ओर से अधिवक्ता आकाश वर्मा मौजूद रहे।

ये भी पढ़ें

1-2-3-4 नहीं, 32 कारों में बम ब्लास्ट की थी तैयारी! मस्जिद में आखिरी नमाज…डायरियों ने खोले राज

Updated on:
13 Nov 2025 06:03 pm
Published on:
13 Nov 2025 04:49 pm
Also Read
View All

अगली खबर