बिहार विधानसभा चुनाव: महागठबंधन में सीट शेयरिंग में हो रही देरी पर सीपीआई और सीपीएम ने चिंता जाहिर करते हुए इसको शीघ्र हल करने की मांग की है। इसके साथ ही CPI-CPM ने 35 सीटों की डिमांड भी रखी है।
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। चुनाव आयोग की शनिवार को मान्यता प्राप्त 12 राजनीतिक दलों के साथ पटना में बैठक होनी है। बीजेपी भी सीट शेयरिंग को लेकर शनिवार को बैठक कर रही है। इस बैठक में बीजेपी के चुनाव प्रभारी समेत सभी सीनियर नेता उपस्थित रहेंगे। महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर चुप्पी पर गठबंधन के लेफ्ट के दो दलों सीपीआई और सीपीएम ने शीघ्र इसपर घटक दलों से फैसला करने की मांग की है। इसके साथ ही दोनों दलों ने गठबंधन में सम्मानजनक सीट देने को लेकर जोर दिया है।
शुक्रवार को दोनों दलों के नेताओं ने जनशक्ति भवन में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि 2025 के चुनाव में सीपीआई 24 सीटें और सीपीएम 11 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। दोनों दलों ने महागठबंधन में 35 सीटों की डिमांड रखा है। साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीपीएम के राज्य सचिव ललन चौधरी और सीपीआई के राज्य सचिव राम नरेश पांडे ने कहा कि हमने अपनी बात से महागठबंधन के अन्य घटक दलों को अवगत भी करा दिया हूं। इसके साथ ही दोनों नेताओं ने महागठबंधन के नेताओं से कहा कि बड़े दलों को त्याग की भावना दिखानी चाहिए। वैसे अन्तिम फैसला महागठबंधन को लेना है। लेकिन, जो फैसला करना है वो शीघ्र कर लें। क्योंकि चुनाव में अब बहुत ही कम समय बचा है। हमारी पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं है। चंदा जुटाकर लेफ्ट चुनाव लड़ती है।
CPI के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि 2020 के विधानसभा चुनावों अगर महागठबंधन को एनडीए को हराना है, तो इस बार सीटों का बंटवारा 'बड़े दिल' से करना होगा। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाकपा के राज्य सचिव ने महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा तेजस्वी यादव को घोषित करने की भी मांग किया। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीपीआई 6 और सीपीएम को 4 सीटें मिली थीं। दोनों दल महागठबंधन का हिस्सा थे। इस बार भी इंडिया अलायंस के साथ चुनावी मैदान में है।