Bihar Bhumi: 1 जनवरी 2026 से बिहार में जमीन से जुड़ी व्यवस्था पूरी तरह बदल जाएगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाएगा। डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने भूमि सुधार जनकल्याण संवाद में इस बात की जानकारी दी।
Bihar Bhumi: बिहार में आम लोगों को जमीन से जुड़े मामलों में जिन सबसे बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि दफ्तरों के चक्कर, कागजी रिकॉर्ड और भ्रष्टाचार आदि अब जल्द ही बीते दिनों की बात हो जाएंगी। राज्य सरकार ने जमीन से जुड़े नियमों में ऐतिहासिक बदलावों की घोषणा की है। 1 जनवरी 2026 से ज़मीन से जुड़े ज्यादातर काम डिजिटल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट कर दिए जाएंगे। सरकार का दावा है कि इससे न सिर्फ आम लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि जमीन विवादों, धोखाधड़ी और जमीन माफियाओं की गतिविधियों पर भी प्रभावी ढंग से रोक लगेगी।
उपमुख्यमंत्री और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भूमि सुधार जन कल्याण संवाद कार्यक्रम के दौरान घोषणा की कि 1 जनवरी से राजस्व रिकॉर्ड की सर्टिफाइड कॉपी सिर्फ ऑनलाइन ही मिलेंगी। फिजिकल यानी कागजी कॉपी का सिस्टम पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। सरकार ने यह भी साफ किया है कि डिजिटल सिग्नेचर वाली ऑनलाइन कॉपी को पूरी कानूनी मान्यता दी गई है। इसका मतलब है कि अब जमीन के दस्तावेजों की ओरिजिनल कॉपी ढूंढने के लिए अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।
विजय सिन्हा ने बताया कि अब तक शहरी इलाकों में वंशावली को लेकर काफी कन्फ्यूजन और विवाद थे। नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पंचायत क्षेत्रों में वंशावली जारी करने के लिए एक स्पष्ट सिस्टम न होने के कारण म्यूटेशन और बंटवारे के मामलों में देरी होती थी। अब, नए नियमों के तहत सर्कल ऑफिसर (CO) शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में वंशावली जारी करेंगे। इससे संपत्ति के बंटवारे जैसे मामले तेजी से निपटाए जा सकेंगे और अनावश्यक विवाद कम होंगे।
सरकार ने परिमार्जन प्लस (भूमि रिकॉर्ड सुधार) और म्यूटेशन जैसे मामलों में देरी को खत्म करने के लिए स्पष्ट समय सीमा भी तय कर दी है। क्लर्कियल गलतियों के लिए 15 कार्य दिवस, तकनीकी राजस्व गलतियों के लिए 35 कार्य दिवस और जटिल मामलों के लिए अधिकतम 75 कार्य दिवसों में काम पूरा किया जाएगा। इसके अलावा, पुराने लंबित मामलों को निपटाने के लिए 15 जनवरी तक एक विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों से हफ्ते में छह दिन, सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम करने को कहा गया है।
सरकार ने साफ चेतावनी दी है कि जो लोग जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके जमीन हड़पते हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। अब ऐसे मामलों में, सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई के बजाय सीधे क्रिमिनल केस (FIR) दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा, अगर सरकारी जमीन के गलत लैंड रिकॉर्ड मिलते हैं, तो जिम्मेदार लोगों को तुरंत सस्पेंड किया जाएगा।
यह पक्का करने के लिए कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के जमीन मालिकों को उनकी जमीन का असली कब्जा मिले, सरकार ने 'ऑपरेशन भूमि दखल देहानी' अभियान शुरू किया है। इसके तहत, सभी योग्य जमीन मालिकों को अलॉट की गई जमीन का कब्जा दिलाना लक्ष्य है।
जमीन विवादों को सुलझाने के लिए, अब हर शनिवार को सर्कल ऑफिस में जन शिकायत निवारण कैंप लगाया जाएगा। मामलों के जल्द और निष्पक्ष समाधान के लिए इसकी निगरानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, सब-डिविजनल ऑफिसर और पुलिस सुपरिटेंडेंट लेवल पर की जाएगी। रेवेन्यू अधिकारियों को भी सर्कल ऑफिस के बजाय अपने-अपने पंचायत हेडक्वार्टर में बैठने का निर्देश दिया गया है, ताकि ग्रामीणों को अपने काम के लिए लंबी दूरी तय न करनी पड़े।
इस पूरे सुधार अभियान के बारे में, उपमुख्यमंत्री और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सरकार का मकसद सिर्फ नियम बदलना नहीं, बल्कि भूमि प्रशासन की कार्य संस्कृति को पूरी तरह से बदलना है। पारदर्शिता, जवाबदेही और समय पर सेवा को प्राथमिकता दी जा रही है। इन बदलावों से जमीन विवाद कम होंगे, लोगों का भरोसा बढ़ेगा और बिहार में जमीन माफियाओं के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा।