सरसों की फसल समतल और अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट से दोमट मिट्टी में अच्छी उपज देती है। जानिए सरसों की बुवाई का सही समय।
जयपुर। राजस्थान देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है, जो देश के कुल सरसों क्षेत्रफल का 45 प्रतिशत और कुल उत्पादन का 46 प्रतिशत योगदान करता है। किसान उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाकर और फसल में जैविक खाद देकर सरसों की पैदावार बढ़ा सकते हैं।
यह फसल समतल और अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट से दोमट मिट्टी में अच्छी उपज देती है। अच्छी पैदावार के लिए जमीन का पी.एच.मान 7-8 होना चाहिए। सिंचित क्षेत्रों में पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। गर्मी में गहरी जुताई करने से कीड़े मकोड़े नष्ट हो जाते हैं। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए, जिससे कि भूमि में नमी बनी रहे।
पीआर 15 (क्रांति), बायो 902 (पूसा जय किसान), लक्ष्मी, वसुन्धरा (आर.एच. 9304),स्वर्ण ज्योति (आर.एच. 9802), आर.आर.एन. 573, एन.आर. सी.डी. आर. 2, आर. एच.-749, गिरिराज
कार्बनडाजिम (बाविस्टिन) 2 अथवा एप्रोन (एस डी 35) 6 ग्राम कवकनाशक दवाई प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करने से फसल पर लगने वाले रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है।
फसल में प्रति हैक्टेयर असिंचित फसल 40-60 किलो नत्रजन 20-30 किलो फास्फोरस व 20 किलो पोटाश व 20 किलो सल्फर की आवश्यक है। सिंचित फसल को 80-120 किलो नत्रजन, 50-60 किलो फास्फोरस व 20-40 किलो पोटाश व सल्फर की जरूरत होती है।
सरसों बुवाई का उचित समय 10 से 20 अक्टूबर के बीच का माना गया है। अलवर जिले के राजगढ़ के सहायक निदेशक कृषि विश्राम मीना ने बताया कि उपखण्ड में सरसों की बुवाई सितम्बर के अन्तिम सप्ताह में शुरू होती है। सरसों बुवाई का उचित समय 10 से 20 अक्टूबर के बीच में माना जाता है। सरसों की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी परीक्षण के परिणाम के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।
यदि मिट्टी का परीक्षण नहीं कराया तो सिंचित फसल के लिए 80 किलो नत्रजन, 40 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश तथा 300 किलो जिप्सम या 40 किलो गंधक चूर्ण प्रति हैक्टेयर में दें। सिंगल सुपर फास्फेट में फास्फोरस की मात्रा 16 प्रतिशत होती हैं, इसके अलावा गंधक की 11 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है।
यूरिया सुपर फास्फेट में नाइट्रोजन की मात्रा पांच प्रतिशत, फास्फोरस की मात्रा 15 प्रतिशत तथ गंधक की मात्रा 10 प्रतिशत होती है। इस प्रकार सुपर फास्फेट उर्वरकों में फास्फोरस के अलावा गंधक व पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है।
सरसों की फसल में तेल की मात्रा बढ़ाने तथा दाने को मोटा करने, चमक बढ़ाने के लिए गंधक तत्व जरूरी होता है। सरसों के लिए सिंगल सुपर फास्फेट अच्छा उर्वरक है। सरसों की फसल में डीएपी की तुलना में लगभग ढाई से तीन गुणा सुपर फास्फेट बुवाई के समय प्रयोग करें। यह आसानी से बाजार में उपलब्ध होता है।