Gold Today Price: जो फैक्टर्स सोने में तेजी ला रहे हैं, वे ही चांदी में भी तेजी ला रहे हैं। सबसे बड़ा अंतर औद्योगिक मांग का है। चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड काफी ज्यादा है।
Gold Silver: सोने और चांदी ने इस साल जबरदस्त रिटर्न दिए हैं। इस साल अब तक घरेलू हाजिर बाजार में सोने की कीमतें करीब 70% बढ़ गई हैं। जबकि चांदी की घरेलू हाजिर कीमत में इस साल अब तक 115% का उछाल आ चुका है। वायदा बाजार की बात करें, तो शुक्रवार को MCX पर चांदी का भाव 2,00,362 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। वहीं, सोने का वायदा भाव 1,34,249 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया।
इस साल सोने-चांदी की कीमतों में तेजी के पीछे कई कारण रहे। इनमें से प्रमुख हैं- भू-राजनीतिक जोखिम, अमेरिकी टैरिफ के कारण व्यापक वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, अमेरिकी फेड रेट में कटौती, केंद्रीय बैंकों की खरीद और गोल्ड-सिल्वर ETFs में मजबूत इनफ्लो।
| कमोडिटी | मार्केट | इस साल अब तक रिटर्न |
|---|---|---|
| सोना (Gold) | घरेलू हाजिर | 70% ↑ |
| चांदी (Silver) | घरेलू हाजिर | 115% ↑ |
इस समय गोल्ड-सिल्वर रेश्यो 68 पर है। सोने-चांदी का अनुपात यह बताता है कि एक यूनिट सोना खरीदने के लिए चांदी की कितनी यूनिट्स की आवश्यकता होती है। वर्तमान में एक ग्राम सोना खरीदने के लिए 68 ग्राम चांदी की आवश्यकता है।
| कमोडिटी | मार्केट | ताजा कीमत | यूनिट |
|---|---|---|---|
| चांदी (Silver) | वायदा (MCX) | ₹2,00,362 | प्रति किलोग्राम |
| सोना (Gold) | वायदा (MCX) | ₹1,34,249 | प्रति 10 ग्राम |
सोने-चांदी का अनुपात यह समझने का एक तरीका है कि सोने की तुलना में चांदी कितनी महंगी या सस्ती है। यह अनुपात दोनों धातुओं के पोटेंशियल प्राइस ट्रेंड्स के भी संकेत देता है। आमतौर पर, एक उच्च अनुपात का मतलब है कि सोना बेहतर परफॉर्म कर रहा है, जो सोने की सेफ हैवन डिमांड को दर्शाता है। दूसरी ओर, सोने-चांदी का कम अनुपात यह बताता है कि चांदी की मांग बढ़ रही है और कीमतें ऊपर जा सकती हैं।
सोने-चांदी का वर्तमान अनुपात यह दर्शाता है कि चांदी अभी भी सोने के मुकाबले सस्ती है, लेकिन यह पीली धातु के बराबर आने की कोशिश कर सकती है। कम अनुपात बता रहा है कि चांदी की मांग बढ़ी है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऐतिहासिक रूप से यह अनुपात 90 के आसपास रहता है। चांदी इस समय मजबूत औद्योगिक मांग, बढ़ती निवेश मांग, कमजोर डॉलर, फेड रेट में गिरावट और टाइट सप्लाई कंडीशंस के कारण तेजी से भाग रही है।
सीनियर रिसर्च एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी के अनुसार, चांदी में निस्संदेह डिमांड है और यह उछाल अभूतपूर्व है। शार्प तेजी आने की वजह से आगे कीमतों में कुछ गिरावट आ सकती है, लेकिन ओवरऑल ट्रेंड पॉजिटिव बना हुआ है। त्रिवेदी ने बताया कि चांदी में अगले साल भले ही बड़ी गिरावट आ जाए, लेकिन अभी के लिए बड़ी गिरावट का कोई कारण नहीं दिख रहा है।
चांदी की कीमतों का सपोर्ट करने वाले कई फैक्टर सोने की कीमतों का भी सपोर्ट करते हैं, लेकिन मुख्य अंतर औद्योगिक मांग का है। सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और सेमीकंडक्टर जैसे सेक्टर्स में विस्तार ने चांदी की मांग को बढ़ाया है।
इन्वेस्टमेंट इनफ्लो में भी एक अंतर दिख रहा है। एयूएम के मामले में दुनिया के सबसे बड़े सिल्वर ईटीएफ iShares Silver Trust में होल्डिंग्स तेजी से बढ़ रही है। जबकि दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड ईटीएफ SPDR Gold ETF में होल्डिंग्स बिना किसी ग्रोथ के स्टेबल है।
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन की उपाध्यक्ष अक्षय कंबोज के अनुसार, गिरता हुआ गोल्ड सिल्वर रेश्यो चांदी के बढ़ते सापेक्ष मूल्य को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि चांदी में और तेज उछाल संभव है। कंबोज का मानना है कि इस बार फेड पॉलिसी की घोषणा में साल 2026 में केवल ही रेट कट होने की बात सामने आने से यह कहा जा सकता है कि सोने की कीमतों में तेजी अब थम सकती है, जब तक कि सेंट्रल बैंक्स द्वारा जबरदस्त खरीद न की जाए।