Rajinikanth Birthday Special: आज इंडियन सिनेमा के थलाइवा रजनीकांत 75वां जन्मदिन बना रहे हैं। उनके फैंस के लिए आज का दिन बहुत ही खास है। रजनीकांत के लिए लोगों की दीवानियत ऐसी है कि उनके चाहने वालों ने उनके लिए मंदिर तक भी बनवा दिए। आज रजनीकांत के बर्थडे के पर जानिये उनसे जुड़ा एक रोचक किस्सा, जब उनको मिला था दादा साहब फाल्के पुरस्कार।
Rajinikanth Birthday Special:‘मुबारक हो, दादा साहब फाल्के को रजनीकांत पुरस्कार मिला है।’ यह पढ़ कर कोई भी चौंक सकता है। लेकिन सच यही है कि जब साल 2021 में अभिनेता रजनीकांत को दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई थी तो उनके बारे में प्रचलित अविश्वसनीय ‘चुटकुलों’ की भीड़ में यह एक और चुटकुला जुड़ गया था। दरअसल, यह रजनीकांत का अति चमकीला आभामंडल ही है जो उनके साथ ऐसे-ऐसे अविश्सनीय वाक्य जुड़े हुए हैं जिन्हें पढ़ कर हंसी भले ही आए लेकिन यह विश्वास करने को मन करता है कि जब बात रजनीकांत की हो तो शायद ऐसा ही होता है।
रजनीकांत के ऊंचे कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री उन्हें जब उनके नाम से पुकारती है तो उसके साथ सम्मानसूचक ‘सर’ लगाना नहीं भूलती। उनसे उम्र में बड़े और महानायक तक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन भी उनके नाम के साथ ‘सर’ लगाना नहीं भूलते।
महाराष्ट्र से कर्नाटक जा बसे परिवार में जन्मा और बस कंडक्टरी करके गुजारा कर रहा एक नौजवान, जिसकी महत्वाकांक्षाओं में एक वैस्पा स्कूटर, एक पैकेट सिगरेट और एक कमरे का फ्लैट भर था, वह कब तमिल फिल्मों का सुपरस्टार और देखते ही देखते करोड़ों दिलों का ‘थलाईवा’ (नेता, अगुआ) बन गया, इसकी कोई तय मियाद नहीं दिखती। अपने फिल्मी सफर में रजनीकांत ने भले ही तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड़ और हिन्दी की ही फिल्में की हों लेकिन उनकी लोकप्रियता सिर्फ इन्हीं भाषाओं के दर्शकों तक ही सीमित नहीं रही। देश भर में उनके चाहने वाले मौजूद हैं और देश से बाहर एशिया के कई मुल्कों में उनके दीवाने दर्शक उनकी फिल्मों का इंतजार बेसब्री से करते हैं। जापान जैसे देश में तो उन्हें वैसे ही चाहा और सराहा जाता है जैसे तमिलनाडु में। उनकी फिल्म ‘मुथु’ का जापान में लगातार 23 हफ्ते तक चलना इस बात की मिसाल है।
हिन्दी के दर्शकों ने बहुतेरे सुपरस्टारों का स्टारडम देखा है। पुराने दर्शक राजेश खन्ना का स्टारडम याद करते हैं कि कैसे उनके निकलने के रास्ते पर लोग, खासकर लड़कियां निगाहें बिछाए, हवा में दुपट्टे उछालते खड़ी रहती थीं। उनकी कार पर लड़कियों के होठों की लिपस्टिक के निशानों के किस्से मशहूर हैं। हृतिक रोशन की पहली फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ आने के बाद उनके घर पर युवतियों द्वारा अपने खून से चिट्ठियां लिख कर भेजने की बातें सुनाई जाती हैं। सलमान खान को देख कर ‘सल्लू मैरी मी’ के नारे लगाती लड़कियां दिखती हैं और वहीं मेगास्टार अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता तो जगजाहिर है ही। लेकिन हिन्दी वालों को इस बात का अहसास भी नहीं होगा कि रजनीकांत के प्रशंसकों के बीच उनकी लोकप्रियता का स्तर किस आसमान को छूता है। दक्षिण भारत में रजनी सर के ढेरों फैन क्लब हैं। उनके मंदिर हैं जहां उनकी नियमित पूजा होती है। उनकी किसी फिल्म के आने पर फिल्म के होर्डिंग और उनके कट-आउट का दूध से अभिषेक करने, रात भर पहले थिएटरों के आगे कतार लगाने और फिल्म शुरू होने से पहले नारियल फोड़ने की तस्वीरें हिन्दी प्रदेशों के सिने-प्रेमियों को हैरान करती हैं कि कोई इंसान, और वह भी महज एक अभिनेता, कैसे किसी के लिए इतना पूज्य, देवतुल्य हो सकता है।
और यह सब तब है जब रजनीकांत ने अपने प्रशंसकों के बीच कभी भी अपने असली रूप-रंग को नहीं छुपाने-ढकने की कोशिशें नहीं कीं। जहां लगभग सभी फिल्मी सितारे पर्दे से बाहर के अपने चेहरे को दिखाने के प्रति अतिरिक्त सतर्कता बरतते हैं वहीं रजनीकांत हमेशा बिना किसी मेकअप, बिना विग के गंजे सिर और साधारण लुंगी-शर्ट के साथ तब भी देखे गए जब उनकी कोई ऐसी फिल्म रिलीज होने के कगार पर खड़ी हो जिसमें वह एकदम युवा और स्मार्ट बन कर आ रहे हों। नई पीढ़ी के हिन्दी वाले दर्शक रजनीकांत को जिस ‘रोबोट’ और ‘2.0’ से जानते-पहचानते हैं उसी के प्रचार में शामिल होने आए रजनी सर के असली चेहरे को उन्होंने देखा होता तो शायद अचरज से अपनी उंगलियां चबा गए होते।
अपने प्रशंसकों के बीच रजनीकांत का कद कैसा है, इस बात का अंदाजा तब भी हुआ जब 2010 में अपनी छोटी बेटी सौंदर्या की शादी के मौके पर उन्हें एक बयान जारी करके अपने चाहने वालों से माफी मांगनी पड़ी कि मैं आप सब को अपनी बेटी की शादी के समारोह में बुलाना चाहता था लेकिन जगह की कमी के चलते नहीं बुला सका। 2016 में जब सौंदर्या को भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने अपना ब्रांड अंबेसेडर बनाया था जो रजनीकांत के उन प्रशंसकों ने इस पर नाराजगी जताई थी जो जल्लीकट्टू नामक खेल के समर्थक हैं क्योंकि इस खेल पर पाबंदी लगवाने वालों में इस बोर्ड की भी बड़ी भूमिका थी। अपने ‘थलाईवा’ से जुड़ी एक-एक हरकत से खुद को जोड़ कर देखने वाले ऐसे प्रशंसक, मात्र प्रशंसक नहीं हो सकते। ये लोग भक्तों से भी कहीं ऊपर गिने जा सकते हैं।
एशिया में किसी फिल्म के लिए सबसे ज्यादा पारिश्रमिक पाने वाले अभिनेताओं की फेहरिस्त में रजनीकांत का नाम जैकी चान और जेट ली के बाद तीसरे नंबर पर लिया जाता है। लेकिन रजनीकांत की कीमत उनकी फीस, उनकी किसी फिल्म की कमाई, उनके प्रशंसकों की तादाद या उनके बारे में प्रचलित अविश्सनीय चुटकुलों से तय नहीं होती। रजनीकांत का आभामंडल कुछ अलग ही है-कुछ दैवीय, कुछ अलौकिक।
(1993 से फिल्म पत्रकारिता में सक्रिय दीपक दुआ ‘सर्वश्रेष्ठ फिल्म समीक्षक’ के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हैं)