प्रतापगढ़

राजस्थान के शहरों से गुम होते जा रहे परम्परागत खेल, वजह जानेंगे तो उड़ जाएंगे होश

Rajasthan News : चिंताजनक न्यूज। राजस्थान के शहरों से परम्परागत खेल गुम होते जा रहे हैं। वजह जानेंगे तो उड़ जाएंगे होश। पढ़ें पूरी खबर।

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Rajasthan News : गत कुछ वर्षों से वीडियो गेम्स और मोबाइल गेम्स के प्रचलन से परम्परागत खेल गुम होते जा रहे हैं। राजस्थान के शहरों में इन खेलों के नाम तो युवा वर्ग भी भूलते जा रहे हैं। ऐसे में यह खेल अब गांवों में भी काफी कम देखे जा रहा हैं। इसके पीछे की वजह हैरान करने वाली है। गौरतलब है कि गत वर्षों से मोबाइल का प्रयोग काफी बढ़ गया है। इसका असर युवाओं और बालकों पर अधिक पड़ रहा है। ऐसे में बचपन के पारंपरिक खेल बच्चों से दूर होते जा रहे हैं। सितोलिया, गिल्ली-डंडा, मारदड़ी, लुकाछिपी, कंचा, कबड्डी आदि खेल बीते दिनों की बात हो गई। वीडियो और मोबाइल गेम्स ने बच्चों को चहारदीवारी में कैद कर दिया है। जिससे बच्चे एकांतवासी बन रहे हैं।

आदिवासी बाहुल्य इलाके में आज भी खेलें जाते हैं परम्परागत खेल

मेरियाखेड़ी में जहां एक तरफ शहरों में परम्परागत खेल गुम होते जा रहे हैं। वहीं गांवों में आज भी ये खेल देखे जा सकते हैं। विशेषकर आदिवासी बाहुल्य इलाके में आज भी परम्परागत खेल खेले जाते है। जो गांवों में देखे जा सकते हैं।

क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ाते थे खेल

पहले बच्चों की टोली गिल्ली-डंडा, सितोलिया, दड़ीमार, कबड्डी जैसे खेल खेले जाते थे। इन खेलों से बच्चों का व्यायाम तो होता ही था। साथ ही निर्णय लेने की क्षमता, आत्मविश्वास आदि में वृद्धि होती थी। लुकाछिपी में बच्चे खेल-खेल में गिनती सीख जाते थे। इस खेल में सौ तक की गिनती की जाती है। ये तमाम खेल ऐसे थे जो घर से बाहर खेले जाते थे। बच्चे एक जगह जमा होते थे। इससे विचारों का आदान-प्रदान होता था, टीम भावना जगती थी। अब बच्चे वीडियो और मोबाइल में उलझे रहते हैं। जिससे एकांकी जीवन की अवधारणा विकसित हो रही है।

Published on:
30 Dec 2024 01:16 pm
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